होली के बारे में निबंध लिखें १० लाइन
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हिन्दूओं के द्वारा दिवाली की तरह ही होली भी व्यापक तौर पर मनाया जाने वाला त्योहार है। ये फागुन महीने में आता है जो वसंत ऋतु के फागुन महीने में आता है जिसे वसंत ऋतु की भी शुरुआत माना जाता है। हर साल होली को मनाने की वजह इसका इतिहास और महत्व भी है। बहुत साल पहले, हिरण्यकश्यप नाम के एक दुष्ट भाई की एक द्ष्ट बहन थी होलिका जो अपने भाई के पुत्र प्रह्लाद को अपने गोद में बिठा कर जलाना चाहती थी।
प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे जिन्होंने होलिका के आग से प्रह्लाद को बचाया और उसी आग में होलिका को राख कर दिया। l तभी से हिन्दु धर्म के लोग शैतानी शक्ति के खिलाफ अच्छाई के विजय के रुप में हर साल होली का त्योहार मनाते है। रंगों के इस उत्सव में सभी एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर दिनभर होली का जश्न मनाते है।
प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे जिन्होंने होलिका के आग से प्रह्लाद को बचाया और उसी आग में होलिका को राख कर दिया। l तभी से हिन्दु धर्म के लोग शैतानी शक्ति के खिलाफ अच्छाई के विजय के रुप में हर साल होली का त्योहार मनाते है। रंगों के इस उत्सव में सभी एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर दिनभर होली का जश्न मनाते है।
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विष्णु जी ने हवा का एक तेज़ झोंका प्रहलाद की ओर फेंका और प्रहलाद हवा में झूलता हुआ आराम से जमीन पर उतर गया. प्रहलाद ने विष्णु जी को धन्यवाद कहा और महल में चला गया इसके बाद जब रजा को पता चला की प्रहलाद जिंदा हैं तो वो गुस्से से पागल हो गया उसकी इस हालात को देख कर उसकी डायन जैसी दिखने वाली छोटी बहन ने उससे कहा ”भैया आप इतने परेशान क्यूँ हो रहे हैं आप बस आग का इंतज़ाम कीजिये और प्रहलाद को मेरे पास भेज दीजिये” अगली सुबह राज महल के आँगन में लकडियो का अम्बार लगा दिया गया उसके बाद होलिका के कहने पर लकडियो में आग लगा दी गयी. आग की लपते इतनी ज्यादा थी और इतनी बड़ी थी की सोने का बना हिरंकश्यपू का महल जगमगा उठा अगले ही पल होलिका ने प्रहलाद को अपने पास बुलाया और आग की तरफ बढ़ने लगी ये देख कर हिरंकश्यपू ने होलिका को रोका और कहा ”ये क्या कर रही हो? तुम आग से जल जाओगी” होलिका मुस्कुराई और अपने भाई से बोली ”चिंता मत करो भैया मुझे ये वरदान मिला हैं की आग मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती ये आग तो मैंने प्रहलाद को मारने के लिए लगायी हैं मैं आग में कूद जोगी उसे लेकर और वो मर जाएगा और मैं बच जाउंगी” होलिका की बात सुनकर हिरंकश्यपू बहुत खुश हुआ और उसने होलिका को आग में जाने की इजाज़त दे दी.
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