होलिका को अग्नि से ना मरने का वरदान मिला था फिर वो प्रह्लाद के साथ जब आग में बैठी तो होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया क्यूँ?
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It was because she had the boon for saving her life from fire but if she would use it to kill someone then it will not work so she was burned in the fire
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हिरण्यकश्यप घमंडी एवं अत्याचारी बनकर खुद को भगवान समझने लगा। उधर होलिका ने हमेशा बुराई का ही साथ दिया और अपनी शक्ति को नेक कार्यों में लगाने की बात कभी नहीं सोची। कहीं वह अपने भाई की साजिश में शामिल होकर प्रह्लाद को साथ लेकर जलती चिता में बैठी, कहीं वह वैदिक धर्म की कट्टर विरोधी राक्षसी बनी और आर्य जनता पर अत्याचार किए। कहीं कंस के कहने पर पूतना बनकर कृष्ण की हत्या के लिए निकल पड़ी। वह हमेशा सत्ता को संरक्षण प्रदान करती रही। उसके पास ऐसे कवच थे, जिनमें अनाचार, भ्रष्टाचार, शोषण और अन्याय सुरक्षा पाते रहे। यहां तक कि विनाश भी सुरक्षा पाता रहा। प्रह्लाद के पास सत्य, आस्था और प्रेम तीनों चीजें थीं। इसलिए वह आग के अंदर होते हुए भी साफ बच गया और कभी न जलने वाली होलिका जलकर राख हो गई और बुराई पर अच्छाई की विजय हुई।