Hindi, asked by kishansinghrathod123, 3 months ago

होली के रंगों में रसायनों का प्रयोगा इस विषय पर अपने
विचार
व्यक्त कीजिए।​

Answers

Answered by earthrajpradhan2020
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Explanation:

कभी कभी केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल से होली के रंग में भंग हो जाता है। इसलिए होली पर पूरी तरह से सतर्क रहने की आवश्यकता है। केमिकल युक्त रंग से शरीर की त्वचा शुष्क हो जाती है, इससे त्वचा चटकने लगती है और जो एलर्जी का विकराल रूप ले लेती है। चेहरे व शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं।

Answered by rwtkhushi25
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Answer:

होली का त्योहार दो मार्च को है। इन दिनों बाजार रासायनिक रंगों से पटा पड़ा है। सस्ते रंगों की बिक्री अधिक हो रही है, लेकिन सावधान हो जाएं। ये रासायनिक रंग आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। त्वचा के लिए यह रंग बेहद घातक है हीं, आंखों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए होली पर कृत्रिम रंगों से पूरी तरह से परहेज करें और जहां तक संभव हो आंखों को हर तरह के रंग से बचाएं।

होली के त्योहार में लोग उत्साह से तरह-तरह के रंग, अबीर और गुलाल से होली खेलते हैं। एक दूसरे को रंग लगाते हैं। रंगों के इस त्योहार में बाजार की रंगत ही बदल जाती है। तमाम प्रकार के रंगों से बाजार पट जाता है। इन दिनों बाजार में रंग, अबीर की बिक्री खूब हो रही है। इसमें केमिकल मिले हुए रंग खूब बिक रहे हैं जो काफी सस्ते है। सस्ता होने के चक्कर में इन रंगों की बिक्री अधिक होती है लेकिन सबसे ज्यादा इनसे ही सावधान रहने की आवश्यकता है। रासायनिक रंगों से जितना हो सके बचा जाए। रंग बनाने वाले रंगों में विभिन्न प्रकार के रसायन का प्रयोग तो करते ही हैं, साथ ही बालू व मिट्टी आदि भी मिलाते हैं। ताकि ज्यादा मुनाफा पाया जा सके। इन रंगों के इस्तेमाल से शरीर की त्वचा खराब हो सकती है।

होली के त्योहार पर रंगों में मिलावट का कारोबार खूब फलता फूलता है। रंग ही नहीं बल्कि अबीर और गुलाल में रसायन का प्रयोग किया जाता है। केमिकल युक्त रंग दस रुपये तोला तक मिल जाते हैं जबकि हर्बल रंग मंहगे होते हैं। इसी वजह से रासायनिक रंगों का कारोबार अधिक होता है।

नेत्र चिकित्सक डॉ.पीके सारस्वत का कहना है कि प्राकृतिक रंगो से होली खेलना ही अच्छा है। कभी कभी केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल से होली के रंग में भंग हो जाता है। इसलिए होली पर पूरी तरह से सतर्क रहने की आवश्यकता है।

केमिकल युक्त रंग से शरीर की त्वचा शुष्क हो जाती है, इससे त्वचा चटकने लगती है और जो एलर्जी का विकराल रूप ले लेती है। चेहरे व शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं। आंखों में रासायनिक रंग चला जाए तो रोशनी जाने का खतरा रहता है। केमिकल युक्त रंगों से सबसे ज्यादा आंखों की पुतली को नुकसान पहुंचता है। कभी कभी जख्म भी बन जाता है, जो आंखों की रोशनी के लिए घातक बन जाता है। यदि आंखों में केमिकल युक्त रंग चला भी जाता है तो ऐसे में आंखों को रगड़े नहीं, आंखों को ठंडे पानी से धोये और जल्द से जल्द किसी नेत्र चिकित्सक को दिखाएं। इसमें लापरवाही कतई नहीं बरतें। नहीं तो ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।

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