Hindi, asked by kapadiyamahek, 5 months ago

हाल में ही ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरो साइस प्रोफेसर फोस्टर के नेतृत्व वाले 3 सदस्यीय दल के स्कूली बच्चों पर
किए गए शोध से कई दिलचस्प नतीजे सामने आए, जिसमें उन्होंने पाया कि जो छात्र परीक्षा वाले दिनों में सामान्य से
ज्यादा सोए, उनके परिणाम अन्य से बेहतर रहे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरों में सामान्य प्रवृत्ति यह रहती है कि परीक्षा के दौरान वे देर से सोते हैं और देर से
ही उठते हैं। सामान्यतः सुबह 10 बजे से पहले वे पूरी तरह से चैतन्य नहीं हो पाते हैं। छात्र पहले दोपहर के बाद पूरी
तरह से सजग होते हैं और सबसे कठिन पाठों को इसी समय पढ़ना चाहिए। यह प्रक्रिया छात्रों में 21 साल की उम्र तक
कायम रहती है।
जागने की भी एक क्षमता होती है, लेकिन जब सिर पर पढ़ाई का भूत सवार रहता है। तो जागते रहने के लिए या तो
छात्र बार-बार चाय-कॉफी का सेवन करते हैं या फिर उठ कर टहलते हैं अथवा बार-बार मुँह धोते रहते हैं। इन सबका
असर न होने पर वे जागते रहने हेतु नींद न आने की गोली आदि का सेवन भी करते हैं। इससे उनकी नींद भले ही कुछ
समय के लिए गायब हो जाए, लेकिन इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है। रात भर जागने वाले परीक्षार्थी जब सुबह
परीक्षा देने जाते हैं तो उन्हें झपकी आने लगती है, जिस पर उनका कोई वश नहीं होता है। ऐसे में रातभर जो
कुछ
उन्होंने पढ़ा वह सब भूल जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क की कार्यक्षमता घट जाती है। आखिरकार उसे
भी तो आराम चाहिए जो नींद से ही मिल सकता है। परीक्षा के दौरान रातभर जागने से परीक्षार्थी के पाचन तन्त्र पर भी
प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रकृति ने रात सोने के लिए बनाई है और दिन कार्य करने के लिए। अब यदि प्रकृति के नियम के विरुद्ध कार्य करेंगे तो
उसका परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा।
न्यूरो साइंस प्रोफेसर के नेतृत्व में किए जाने वाले शोधकार्य के क्या परिणाम निकले, यह कार्य किस पर किया गया
था?
क) जागते रहने के लिए छात्र किन तरीकों को अपनाते हैं?
(ख) रातभर जागकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए।
(ग) प्रकृति द्वारा मानव के लिए किस नियम की बात गद्यांश में की गयी है?
(घ) निम्नलिखित शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।
(4)परीक्षार्थी​

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Answered by bablinegi430
4

Answer:

you are noob in free fire

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