होली और दिवाली किसकी रचना है
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Harivansh Rai Bachchan
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डॉ हरिवंश रॉय बच्चन अपनी जगप्रसिद् काव्य पुस्तक "मधुशाला" में कुछ ऐसे कहते हैं. एक बरस में एक बार ही जगती होली की ज्वाला, एक बार ही लगती बाजी जलती दीपों की माला दुनियावाले, किन्तु किसी दिन आ मदिरालय में देखो, दिन को होली रात दिवाली रोज मनाती मधुशाला
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