Hindi, asked by bs3722260, 1 day ago

होली पर हास्य कवि सम्मेलन पर समाचार पत्र समाचारपार कीजिए​

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Answered by renu888sahu
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बुरा न मानो होली गोबर से नहवाई.. पंक्तियों पर श्रोता सोमवार की देर रात तक ठहाके लगाते रहे। अवसर था होली के उपलक्ष्य में हास्य कवि सम्मेलन का। रामदेव नगर में आयोजित इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कमर सिवानी तथा संचालन पूर्व प्राचार्य सुभाषचंद्र यादव ने किया।

सिवानी ने शुरुआत करते हुए कहा, जो कभी न हो बूढ़ी, उस जवानी का नाम है होली..। इस रचना की हर लाइन पर लोग ठहाके लगाते रहे। पूर्व प्राचार्य सुभाष चंद्र यादव ने कहा, ये बचपन छूट जाएगा, जवानी छूट जाएगी, तमन्ना की दरिया की रवानी छूट जाएगी। प्रो. रामचंद्र ¨सह सुरसरिया की कविता- छैला युवकों के संग पीता पलित भी भंग, गाता है होली चाहे डोले अब अंग। ओमप्रकाश नारायण की रचना-बुरा न मानो होली गोबर से नहलाई.। प्राचार्य परमहंस मिश्र प्रचंड की रचना- सइयां बनेला निदरदी फगुनवा में.. ने सभी को झकझोर दिया। जनाब रेयाज मोहिउद्दीनपुरी की रचना-आसमान से तारे तोड़कर धरती पर लाएं हम, पहले तू मुमताज बनो ताजमहल बनवाएं हम..का श्रोताओं ने तालियों से स्वागत किया।

अवधेश पांडेय मिश्र लारी ने- देवर तो देवर बुढ़ऊ भी देवर लाग ता, फाल्गुन में सबका बदला तेवर लाग ता.. प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।

इनके अलावा सुरेंद्र तिवारी, संजय ¨सह, विजयलक्ष्मी विनोदनी, सफीर मखदुमी, मानस झा, प्रकाश मिश्र आदि ने भी अपनी-अपनी रचनाओं से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम में प्रो. चंद्रदेव चौधरी, पशुपतिनाथ ¨सह, पप्पू तिवारी, बाल्मीकि यादव, प्रेम कुमार ¨सह, तारकेश्वर शर्मा, कैलाश यादव, मदन ¨सह, उर्मिला पांडेय, शंकर पांडेय, प्रो. शहाबुद्दीन अहमद, जनकदेव तिवारी, राकेश तिवारी, वीरेंद्र ¨सह, नवीन ¨सह, विजय पांडेय, दिवाकर यादव, सुभास्कर पांडेय, ब्रजमोहन रस्तोगी, धर्मनाथ ¨सह, रामदास प्रसाद, पं. नागेंद्र मिश्र, रामबाबू प्रसाद, कन्हैया ¨सह, प्रो. नरहरि शर्मा, मनन ओझा, नागेंद्र राम समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। अंत में प्रो. रामचंद्र ¨सह के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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