होली पर निबन्ध पर करीब 500 शब्द लिखिए
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सभी के लिये प्रिय होली खुशियाँ और सुख लाने वाला त्योहार होता है। होली का इंतजार सभी लोग करते हैं। होली रंगो का त्योहार है। होली पर सब अपने गिले, शिकवे भुला कर एक दूसरे को गले लगाते है। ये हर साल हिन्दू धर्म के द्वारा मनाया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है। ये आमतौर पर मार्च के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में आता है। सभी इसका बेसब्री से इंतजार करते है और इसको अलग तरीके से मनाने की तैयारी करते हैं।
होलिका और प्रह्लाद की कहानी
होली को मनाने के पीछे भक्त प्रह्लाद की मुख्य भूमिका है। भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उसी के पिता ने उसकी पूजा न करने पर मारने का प्रयास किया, इसके लिये उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा क्योंकि होलिका को ये वरदान था कि वो आग में जल नहीं सकती चूंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये इस आग में उसे कोई नुकसान नहीं हुआ जबकि आशीर्वाद पायी होलिका जलकर भस्म हो गई। उसी दिन से हर साल ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है।
होली की तैयारी
रंगों की होली के एक दिन पहले, लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को रात में जलाकर होलिका दहन की पौराणिक कथा को याद करते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन परिवार के सभी सदस्यों द्वारा सरसों उबटन का मसाज शरीर पर करवाने से शरीर और घर की गंदगी साफ हो जाती है और घर में खुशियाँ और सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है।
होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार और सगे-संबंधियों के साथ रंगों से खेलते है। इस दिन बच्चे गुबारों और पिचकारियों में रंग भरकर दूसरों पर फेंकते है। सभी एक-दूसरे के घर जाकर गले लगाते है साथ ही अबीर लगाकर अपनत्व और प्यार का इजहार करते है। इस खास अवसर पर सभी अपने घर में मिठाई, दही-बढ़े, नमकीन, पापड़ आदि बनवाते है।
कैसे मनाये सौहार्दपूर्ण होली
होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगो का प्रयोग करते है। पुराने ज़माने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे जिसके वजह से उनके स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुँचता। लेकिन अब लोग केमिकल बेस्ड रंग का प्रयोग करते है। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी-किसी की त्वचा संवेदनशील होती है। केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत ही हानिकारक होते है लोगों से निवेदन है की वो केमिकल रहित रंग का प्रयोग करे और अपनी होली को बहुत रोमांचक बनाये।
होली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
होली खेलने के एक दिन पहले होलिका जलना बहुत ही महत्वपूर्ण है।होली खेलने का सबसे अच्छा समय सुबह से दोपहर तक का होता है।होली का मनाना ऋतुराज बसंत के आने का संकेत है।
होलिका और प्रह्लाद की कहानी
होली को मनाने के पीछे भक्त प्रह्लाद की मुख्य भूमिका है। भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उसी के पिता ने उसकी पूजा न करने पर मारने का प्रयास किया, इसके लिये उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा क्योंकि होलिका को ये वरदान था कि वो आग में जल नहीं सकती चूंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये इस आग में उसे कोई नुकसान नहीं हुआ जबकि आशीर्वाद पायी होलिका जलकर भस्म हो गई। उसी दिन से हर साल ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है।
होली की तैयारी
रंगों की होली के एक दिन पहले, लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को रात में जलाकर होलिका दहन की पौराणिक कथा को याद करते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन परिवार के सभी सदस्यों द्वारा सरसों उबटन का मसाज शरीर पर करवाने से शरीर और घर की गंदगी साफ हो जाती है और घर में खुशियाँ और सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है।
होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार और सगे-संबंधियों के साथ रंगों से खेलते है। इस दिन बच्चे गुबारों और पिचकारियों में रंग भरकर दूसरों पर फेंकते है। सभी एक-दूसरे के घर जाकर गले लगाते है साथ ही अबीर लगाकर अपनत्व और प्यार का इजहार करते है। इस खास अवसर पर सभी अपने घर में मिठाई, दही-बढ़े, नमकीन, पापड़ आदि बनवाते है।
कैसे मनाये सौहार्दपूर्ण होली
होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगो का प्रयोग करते है। पुराने ज़माने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे जिसके वजह से उनके स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुँचता। लेकिन अब लोग केमिकल बेस्ड रंग का प्रयोग करते है। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी-किसी की त्वचा संवेदनशील होती है। केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत ही हानिकारक होते है लोगों से निवेदन है की वो केमिकल रहित रंग का प्रयोग करे और अपनी होली को बहुत रोमांचक बनाये।
होली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
होली खेलने के एक दिन पहले होलिका जलना बहुत ही महत्वपूर्ण है।होली खेलने का सबसे अच्छा समय सुबह से दोपहर तक का होता है।होली का मनाना ऋतुराज बसंत के आने का संकेत है।
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