हेलन केलर का परिचय
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हेलेन केलर का जीवन हर एक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, हेलेन केलर ने यह साबित करके दिखाया कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और मेहनत करते हैं तो आपको निश्चित ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने से कोई भी नहीं रोक सकता।
हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 को टस्कम्बिया,अलाबामा, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था।
हेलन केलर का पूरा नाम हेलेन ऐडम्स केलर था।
हेलेन केलर के पिता सेना में अधिकारी के रूप में कार्यरत थे।
जब हेलन केलर का जन्म हुआ तब वह बिल्कुल स्वस्थ थी। समय बीतता गया और लगभग 19 महीनों के बाद हेलेन केलर बीमार हो गई, उन्हें तेज बुखार ने जकड़ लिया।
काफी मुश्किलों के बाद तीन से चार दिन में हेलन केलर का बुखार उतर गया। उन्हें ऐसा बुखार था कि ज्यादातर मामलों में ऐसे रोगी की मृत्यु हो जाती थी लेकिन हेलन केलर बच गई।
यह चुनौती इसलिए थी कि हेलन केलर सामान्य बच्चों से अलग थी क्योंकि अब वह बोलने सुनने और देखने में असमर्थ थी।
जिसके कारण हेलन केलर दूसरे बच्चों के साथ बैठ कर पढ़ नहीं सकती थी, उनके साथ खेल नहीं सकती थी और उनसे बातें नहीं कर सकती थी।
लेकिन हेलेन केलर के माता-पिता यह जानते थे कि उनकी पुत्री में इन सभी मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत है।
हेलन केलर की मां ने उन्हें कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन इससे कोई भी लाभ नहीं हुआ फिर कुछ समय बाद, एक दिन हेलन केलर की मां की मुलाकात डॉ. माइकल अनेग्रस से हुई। और डॉक्टर माइकल अनेग्रस ने उन्हें एक कुशल अध्यापिका से मिलाया और फिर हेलन केलर के माता पिता की चुनौती जो उनके लिए एक शिक्षक ढूंढने की थी वह खत्म हो गई।
एनि हेलन केलर को पढ़ाने के लिए उनके घर पहुंची, उस समय हेलेन केलर बहुत क्रोधित और जिद्दी लड़की थी लेकिन एनि उसे समझती थी और वह जानती थी कि वह जिस परिस्थिति में है उसका ऐसा करना भी एक प्रकार से सही है।
एनि हेलन केलर को उनके माता-पिता से दूर ले जाना चाहती थी और इसी विषय में एनि ने हेलेन केलर के माता पिता से बात करी और उन्हें समझाया कि उसे असहाय और लाचार ना समझे और उसे सीखने के लिए मेरे साथ छोड़ दे।
अब एनि हेलन केलर को उसके परिवार से दूर बगीचे के बीच में बने एक घर में लेकर रहने लगी।
अब एनि हेलन केलर को अपने तरीके से शिक्षा देने लगी और हेलन केलर भी धीरे धीरे उन्हें समझने लग गई कुछ दिनों बाद हेलन केलर का स्वभाव पहले से काफी ज्यादा बदल गया अब वह हंसमुख, नम्र और सरल स्वभाव की हो चुकी थी।
एनि ने हेलन केलर को अनेक तरीकों से शिक्षा दी। हेलन केलर को सिखाने के लिए एनि ने मैनुअली अल्फाबेट (manually alphabet) यानी एनि ने अपने हाथ पर पानी का संकेत बनाया फिर उसका हाथ पानी के नीचे ले गई। इसी प्रकार एनि ने हेलन केलर को पूर्ण वाक्य में बात करने योग्य बना दिया।
हेलन केलर अब एक बुद्धिमान युवती बन गई थी हेलन केलर में सीखने और काम करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। 12 वर्ष की उम्र में वह बोलने लग गई थी।
सन् 1904 में हेलन केलर ने रेडक्लिफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। हेलन केलर यहां सामान्य छात्रों के साथ पढ़ती थी यहां पढ़ते पढ़ते ही उनमें लिखने का शौख बढ़ने लगा और वह लिखने लगी।
हेलन केलर ने अनेक भाषाएं भी सीखी। जैसे- फ्रेंच, अंग्रेजी, लैटिन, ग्रीक और जर्मन।
अब धीरे-धीरे हेलन केलर की रूचि लिखने में और ज्यादा गहरी होती गई और हेलन केलर ने ब्रेल लिपि में अनेक पुस्तकें लिखी और कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया। हेलन केलर ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “The Story Of My Life” था इनकी यह पुस्तक इतनी प्रसिद्ध और चर्चित रही की उन्होंने उस पुस्तक की आय से एक घर खरीद लिया।
अपने जीवन में हेलन केलर ने संघर्षों का ऐसा दौर पार किया था जो असहनीय था हेलन केलर ने यह समझ लिया था कि अगर संघर्ष किया जाए तो कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जिसे हम कर नहीं सकते। इसी सोच के दम पर हेलेन केलर ने समाज के हित के लिए अनेक कदम उठाएं और वह लोगों को जागरूक करने के लिए निकल पड़ी।
उन्होंने पूरे देश में घूम कर लोगों को अपनी कहानी बताई ताकि वे भी दुखों से लड़ने की प्रेरणा पा सकें उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई।
हर एक व्यक्ति जीवन में परिश्रम, लगन और साहस से सफलता प्राप्त कर सकता है।
अब हेलेन केलर अमेरिकी लेखक थी और उसके साथ शिक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता भी थी।
सन् 1964 में उन्हें राष्ट्रपति स्वतंत्रता पदक से सम्मानित किया गया।
सन् 1965 में उन्हें वीमन हॉल ऑफ फेम में चुना गया।
कभी भी अपने सर को झुकाओ मत। इसे ऊंचा रखो, दुनिया को सीधी आंखों से देखो।
folloe me dear