हालदार साहब को ऐसा क्यो लग रहा था कि नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगा होगा?
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देश के लिए सुभाष के किए कार्यों को यादकर उनके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती थी। इस कारण हालदार साहब चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारते रहते थे। ... उसे भी बिना चश्मे की सुभाष की मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी। अतः कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
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