हालदार साहब कैप्टन को देखकर चकित क्यों हो गए?
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प्रशन :- हालदार साहब कैप्टन को देखकर चकित क्यों हो गए?
उत्तर :- जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर उसका एक भिन्न ही चित्र था। उन्हें लगता था कि वह या तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस का साथी रहा होगा या आज़ाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही। हमारी दृष्टि में हालदार साहब के मानस पटल पर कैप्टन का जो चित्र रहा होगा वह कुछ इस प्रकार होगा- स्वस्थ, लंबा-चौड़ा, हष्ट-पुष्ट शरीर, फ़ौज की वर्दी पहने सधा हुआ व्यक्तित्व।
परंतु जब हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा तो वह आश्चर्य चकित हो गए क्यूंकि कैप्टन चश्मे बेचने वाला एक लँगड़ा' आदमी था | सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।वह अपनी छोटी-सी फेरी वाली दुकान से देशभक्त सुभाष चंद्र की मूर्ति पर चश्मा लगाकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करता था। वह शारीरिक रूप से अपंग होते हुए भी देशभक्ति की भावना रखता था |
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हालदार साहब कैप्टन को देखकर चकित क्यों हो गए?
Explanation:
हाििार साहब की कलपना र्थी धक कै प्टन प्रिावशािी व्यधक्तत्व कास्वामीहोगापरउनकी कलपना केधवपरीत
कै प्टन अत्यंत बढूा, कमज़ोर और िंगड़ा आिमी र्था| ऐसा धनििन, बढूा तर्था कमज़ोर-सा व्यधक्त िी िेशिधक्त
सेओत-प्रोत हो सकताहैयहिेखकर हाििार साहब अवाक्रह गए|