हालदार साहब कस्बे में क्यों रुकते थे? *
आराम करने के लिए
पान खाने के लिए
किसी से मिलने के लिए
कंपनी के काम के लिए
Answers
Answer:
उत्तर- हालदार साहब का चौराहे पर रुकना और नेताजी की मूर्ति को निहारना दर्शाता है कि उनके दिल में भी देशप्रेम का जज्बा प्रबल था और वो अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों का दिल से सम्मान करते थे। उन्हें नेताजी की मूर्ति पर चश्मा देखना अच्छा लगता था। ... (ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
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Answer:
उन्हें कस्बे में रुकने का कारण उनकी निगरानी वाले अफगान सेवादार अली मुर्तुजा के स्वास्थ्य से संबंधित था। हालदार साहब अपने सेवादार की तबियत का ध्यान रखने के लिए कस्बे में रुक जाते थे। उन्हें यहां अपने सेवादार का देखभाल करने के साथ-साथ, अपनी कंपनी के कामों का भी ध्यान रखना पड़ता था। इसलिए, हालदार साहब कस्बे में रुकते थे।
Explanation:
हालदार साहब एक सेनानी थे जो अपनी कंपनी में सेवा करते थे। वे कंपनी के काम के लिए अक्सर दूर-दूर जाते थे और वहां अपने सेना के साथ काम करते थे। लेकिन अगर कभी उनके सेवादार या कोई अन्य सदस्य बीमार पड़ता था तो हालदार साहब उनकी तबीयत देखभाल करने के लिए वहां रुक जाते थे। इसके अलावा, उनके पसंदीदा पान के लिए भी वे कभी-कभी कस्बे में रुकते थे। इसलिए, हालदार साहब कस्बे में रुकते थे - कंपनी के काम के लिए, सेवादारों की तबीयत का ध्यान रखने के लिए और अपने पसंदीदा पान के लिए।
उन्हें कस्बे में रुकने का कारण उनकी निगरानी वाले अफगान सेवादार अली मुर्तुजा के स्वास्थ्य से संबंधित था। हालदार साहब अपने सेवादार की तबियत का ध्यान रखने के लिए कस्बे में रुक जाते थे। उन्हें यहां अपने सेवादार का देखभाल करने के साथ-साथ, अपनी कंपनी के कामों का भी ध्यान रखना पड़ता था। इसलिए, हालदार साहब कस्बे में रुकते थे।
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