हिमाचल के किस स्थान पर भूतापीय ऊर्जा का दोहन किया जाता है
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भू-तापीय ऊर्जा की उत्पत्ति मुख्यतः पृथ्वी में सर्वत्र समाए यूरेनियम, थोरियम और पोटेशियम आइसोटोप के विकिरण और पृथ्वी की कोर में भरे तरल पदार्थ मेग्मा की उपस्थिति से होती है। यह भू-गर्भीय ऊष्मा पृथ्वी के भीतर गतिशील जल द्वारा भू-सतह तक पहुँचती है। जिस स्थान पर ताप स्रोत भू-सतह के निकट होता है, वहां का भू-जल गर्म होकर “तप्त जल भंडार” का रूप ले लेता है। इनसे प्राप्त गर्म जल और भाप का उपयोग, ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है।
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दुनिया का सबसे अधिक ऊँचाई पर बना हुआ पाॅवर हाऊस 'रोंगटांग' हिमाचल प्रदेश में ही स्थित है। इनती अधिक ऊँचाई पर विद्युत उत्पन्न करना और मुहया करवाना अपने आप में एक उपलब्धि है।
- हिमाचल प्रदेश भू-तापीय उप-प्रांत (एचपीजी) बड़े हिमालय भू-तापीय प्रांत का एक हिस्सा है, जो 1500 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें 150 से अधिक थर्मल अभिव्यक्तियाँ शामिल हैं, जिसमें सतह का तापमान 57 और 97 डिग्री सेल्सियस के बीच भिन्न होता है।
- उच्च भूतापीय प्रवणता (>260°C/किमी) और उच्च ऊष्मा प्रवाह मान (>180 mW/m 2) HPG की विशेषता है। गीले भूतापीय प्रणालियों के अलावा, प्रांत उथली गहराई पर गर्म शुष्क चट्टानों से संपन्न है।
- इस तरह के उच्च भू-तापीय प्रवणता और गर्मी प्रवाह मूल्यों के साथ, एचपीजी भू-तापीय आधारित बिजली परियोजनाओं को चालू करने और गर्म शुष्क रॉक संसाधनों को टैप करने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन शुरू करने के लिए उपयुक्त है।
- एचपीजी भू-तापीय संसाधनों का उपयोग कई खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का समर्थन करने और देश के साथ-साथ दुनिया के पूरे फल बाजार पर कब्जा करने के लिए किया जा सकता है।
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