हिमाचल क्षेत्रों का देश के विकास में क्या योगदान है
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पर्यटन उद्योग को हिमाचल प्रदेश में उच्च प्राथमिकता दी गई है और हिमाचल सरकार ने इसके विकास के लिए समुचित ढांचा विकसित किया है जिसमें जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र हवाई अड्डे यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्वास्थ्य सेवाएं शामिल है। राज्य पर्यटन विकास निगम राज्य की आय में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। राज्य में तीर्थो और नृवैज्ञानिक महत्व के स्थलों का समृद्ध भंडार है। राज्य को व्यास, पाराशर, वसिष्ठ, मार्कण्डेय और लोमश आदि ऋषियों के निवास स्थल होने का गौरव प्राप्त है। गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त विचरते चरवाहे पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद का स्रोत हैं।
पर्यटन आकर्षण संपादित करें
चंबा घाटी
चंबा घाटी (915 मीटर) की ऊंचाई पर रावी नदी के दाएं किनारे पर है। पुराने समय में राजशाही का राज्य होने के नाते यह लगभग एक शताब्दी पुराना राज्य है और 6वीं शताब्दी से इसका इतिहास मिलता है। यह अपनी भव्य वास्तुकला और अनेक रोमांचक यात्राओं के लिए एक आधार के तौर पर विख्यात है।
डलहौज़ी
पश्चिमी हिमाचल प्रदेश में डलहौज़ी नामक यह पर्वतीय स्थान पुरानी दुनिया की चीजों से भरा पड़ा है और यहां राजशाही युग की भाव्यता बिखरी पड़ी है। यह लगभग 14 वर्ग किलो मीटर फैला है और यहां काठ लोग, पात्रे, तेहरा, बकरोटा और बलूम नामक 5 पहाडियां है। इसे 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश गवर्नर जनरल, लॉड डलहौज़ी के नाम पर बनाया गया था। इस कस्बे की ऊंचाई लगभग 525 मीटर से 2378 मीटर तक है और इसके आस पास विविध प्रकार की वनस्पति-पाइन, देवदार, ओक और फूलों से भरे हुए रोडो डेंड्रॉन पाए जाते हैं डलहौज़ी में मनमोहक उप निवेश युगीन वास्तुकला है जिसमें कुछ सुंदर गिरजाघर शामिल है। यह मैदानों के मनोरम दृश्यों को प्रस्तुत करने के साथ एक लंबी रजत रेखा के समान दिखाई देने वाले रावी नदी के साथ एक अद्भुत दृश्य प्रदर्शित करता है जो घूम कर डलहौज़ी के नीचे जाती है। बर्फ से ढका हुआ धोलाधार पर्वत भी इस कस्बे से साफ दिखाई देता है।
धर्मशाला
धर्मशाला की ऊंचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, चाय के बागान और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से दलाई लामा ने अपना अस्थायी मुख्यालय यहां बनाया, धर्मशाला की अंतरराष्ट्रीय ख्याति भारत के छोटे ल्हासा के रूप में बढ़ गई है।
कुफरी
अनंत दूरी तक चलता आकाश, बर्फ से ढकी चोटियां, गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने, कुफरी में यह सब है। यह पर्वतीय स्थान शिमला के पास समुद्री तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। कुफरी में ठण्ड के मौसम में अनेक खेलों का आयोजन किया जाता है जैसे स्काइंग और टोबोगेनिंग के साथ चढ़ाडयों पर चढ़ना। ठण्ड के मौसम में हर वर्ष खेल कार्निवाल आयोजित किए जाते हैं और यह उन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है जो केवल इन्हें देखने के लिए यहां आते हैं। यह स्थान ट्रेकिंग और पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो रोमांचकारी खेल प्रेमियों का आदर्श स्थान है।
मनाली
कुल्लू से उत्तर दिशा में केवल 40 किलो मीटर की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास मनाली स्थित है। लाहुल, स्पीति, बारा भंगल (कांगड़ा) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मंदिरों से अनोखी चीजों तक, यहां से मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियां मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं।
कुल्लू
कुल्लू घाटी को पहले कुलंथपीठ कहा जाता था। कुलंथपीठ का शाब्दिक अर्थ है रहने योग्य दुनिया का अंत। कुल्लू घाटी भारत में देवताओं की घाटी रही है। यहां के मंदिर, सेब के बागान और दशहरा हजारों पर्यटकों को कुल्लू की ओर आकर्षित करते हैं। यहां के स्थानीय हस्तशिल्प कुल्लू की सबसे बड़ी विशेषता है।
शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी और ब्रिटिश कालीन समय में ग्रीष्म कालीन राजधानी शिमला राज्य का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र है। यहां का नाम देवी श्यामला के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है। यहां घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वती की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। शिमला एक पहाड़ी पर फैला हुआ है जो करीब 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। इसके पड़ोस में घने जंगल और टेढ़े-मेढे़ रास्ते हैं, जहां पर हर मोड़ पर मनोहारी दृश्य देखने को मिलते हैं। यह एक आधुनिक व्यावसायिक केंद्र भी है। शिमला विश्व का एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग भ्रमण के लिए आते हैं। बर्फ से ढकी हुई यहां की पहाडि़यों में बड़े सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं जो पर्यटकों को बार-बार आने के लिए आकर्षित करते हैं। शिमला संग्रहालय हिमाचल प्रदेश की कला एवं संस्कृति का एक अनुपम नमूना है, जिसमें यहां की विभिन्न कलाकृतियां विशेषकर वास्तुकला, पहाड़ी कलम, सूक्ष्म कला, लकडि़यों पर की गई नक्काशियां, आभूषण एवं अन्य कृतियां संग्रहित हैं। शिमला में दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त कई अध्ययन केंद्र भी हैं, जिनमें लार्ड डफरिन द्वारा 1884-88 में निर्मित भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां कुछ ऐतिहासिक सरकारी भवन भी हैं, जैसे वार्नेस कोर्ट, गार्टन कैसल व वाइसरीगल लॉज ये भी बड़े ही दर्शनीय स्थल हैं। चैडविक झरना भी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इसके साथ ही ग्लेन नामक स्थल भी है। इसके समीप बहता हुआ झरना और सदाबहार जंगल बहुत ही आकर्षक हैं।