Chemistry, asked by vrushtyvaghela5037, 1 year ago

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में सिचाई के लिए एक स्थानीय व्यवस्था को कहते हैं
(क) कुल्ह्
(ख) बावडी
(ग) खादीन
(घ) सुरंगम

Answers

Answered by ihrishi
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Answer:

(क) कुल्ह्

Explanation:

स्वतंत्रता के बाद राज्य के सिंचाई व जन-स्वास्थ्य विभाग ने भी कुहलों के जरिए काफी बहाव सिंचाई स्रोत विकसित किए हैं। हाल के वर्षों में इसकी जरूरत के मुताबिक सामुदायिक कुहलों के अधिग्रहण, उनकी नई रूपरेखा बनाने, उनकी देखरेख और प्रबंधन करने का जिम्मा अपने हाथ में लेना शुरू किया है। कोई भी आम सामुदायिक कुहल छः से तीस किसानों की जरूरतें पूरी करता है और लगभग बीस एकड़ क्षेत्र सींचता है। इस प्रणाली में जल स्रोत पर नदी के पत्थरों से खड़ी की गई एक दीवार होती है। किसी धारा के आरपार इसे खड़ा कर दिया जाता है, ताकि इस धारा अथवा खुद का पानी जमा किया जाए और किसी नहर (आम तौर पर कच्ची और आयताकार और ऊपर चौड़े, नीचे पतले चतुर्भुज के आकार की अनुप्रस्थ काट वाली) के जरिए इस बहाव को मोड़कर खेतों तक पहुंचा दिया जाए। आधुनिक मानकों के तहत कुहल के निर्माण को बहुत आसान प्रक्रिया माना जा सकता है, जिसे बनाने में मुख्यतः पत्थर और श्रम ही लगता है। कुहल के साथ मोघा (कच्ची नालियां) जुड़े होते हैं, जिनसे आया पानी पास के सीढ़ीदार खेत सींचता रहता है। यह पानी एक खेत से दूसरे खेत होता हुआ बहता है और इससे जो अतिरिक्त पानी बचता है वह फिर लौटकर उस धारा अथवा खुद में मिल जाता है।

Answered by confusedgenius1000
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Answer:

(क) कुल्ह्

Explanation:

पश्चिमी हिमालय में जल संचय की व्यापक प्रणाली रही है, किसानों में भूतल के हिसाब से नहरें बनाने और पहाड़ी धाराओं और सोतों से पानी निकालने की परम्परा रही है। इन नहरों को कुहल कहा जाता है। ... यह जल बहाव मौसम के साथ बदलता भी है। एक अकेला कुहल नालियों के जरिए या जलोत्प्लावन से 80 से 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई करता है।

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