हेम कुंभ ले उषा सवेरे भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारा। Kaveya soderya
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हेम कुंभ ले उषा सवेरे भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मदिर ऊँघते रहते जब-जगकर रजनी भर तारा।
काव्य सौंदर्य : प्रश्न में दी गई पंक्तियाँ ’कार्नेलिया का गीत’ प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक ’चंद्रगुप्त’ का एक प्रसिद्ध गीत है। यह गीत जय शंकर प्रसाद द्वारा लिखा गया है| भारत की गौरव-गाथा एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन है।
रूपक एवं मानवीकरण अलंकार के साथ बिम्ब निर्माण से काव्य में अनुपम सौंदर्य का वर्णन किया गया है|
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