Hindi, asked by vinitakharbanda, 10 months ago

हिमालय की आत्मकथा लिखो​
if you want to be mung daal brainliest

Answers

Answered by vadgamadevanshi0503
4

Explanation:

इसे 'गिरिराज' भी कहते हैं। हिमालय दो शब्दों से बहा है- हिम +आलय। 'हिम' का अर्थ है- बर्फ और 'आलय का अर्थ है- घर। हिमालय के ऊपर साल भर बर्फ जमी रहती है। यह भारत के उत्तर में सहस्त्रों मील तक फैला हुआ है। इसकी ऊंची चोटियाँ और दिल को हरने वाली घाटियाँ बहुत प्रसिद्द हैं। इसकी प्राकृतिक सुन्दरता सभी का मन हर लेती है।

हिमालय में सबसे बड़ी कश्मीर की घाटी है। कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसमें स्थान-स्थान पर फूल खिले रहते हैं और सर्वत्र स्त्रोत और जल-प्रपात दिखाई देते हैं। कश्मीर इतना आकर्षक है कि वहाँ जाकर लौटने को दिल नहीं चाहता है। इसीलिए कश्मीर को 'धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है।

Read more on Brainly.in - https://brainly.in/question/4687542#readmore

Answered by uddeshya161
0

हिमालय की आत्मकथा मै हिमालय बोल रहा हूँ आत्मकथा मै हिमालय बोल रहा हूँ पर निबंध हिमालय की आत्मकथा निबंध in hindi essay on himalaya ki atmakatha in hindi himalay ki atmakatha hindi nibandh main himalaya bol raha hoon nibandh hindi mein himalay ki atmakatha hindi nibandh mai himalaya bol raha hu nibandh himalay ki atmakatha in hindi हिमालय की आत्मकथा इन हिंदी - मैं पर्वतराज हिमालय हूँ।मुझे लोग नगराज और गिरिराज भी कहते हैं।मेरे सम्बन्ध में किसी कवि ने कहा है - 

यह है भारत का शुभ्र मुकुट

यह है भारत का उच्च भाल,

सामने अचल जो खड़ा हुआ

हिमगिरि विशाल, गिरिवर विशाल!

मेरी महिमा किससे छिपी है ? यदि मैं भारत का प्रहरी हूँ तो चीन ,जापान तथा भारत के बीच मध्यक्ष भी करता हूँ। ये पंक्तियाँ इस बात का साक्षी है - 

इस जगती में जितने गिरि हैं

सब झुक करते इसको प्रणाम,

गिरिराज यही, नगराज यही

जननी का गौरव गर्व-धाम!

इस पार हमारा भारत है,

उस पार चीन-जापान देश

मध्यस्थ खड़ा है दोनों में 

एशिया खंड का यह नगेश!

मैं भारत का साक्षात ,विशाल गौरव मुकुट हूँ।मेरे पौरुष के सम्बन्ध में किसी को जब संदेह न रहा तो मुझे पौरुष का पूंजीभूत ज्वाला कहा गया। मेरा स्वर देश की रक्षा हेतु तरुणाई का आवाहन करता है। मैं अपने कर्तव्य से देश रक्षा का पाठ पढाया करता हूँ। 

मैं महिमा मंडित और सुन्दरता की खान हूँ।देश विदेश के पर्यटक मेरी सुषमा राशि पर मोहित होकर मेरे पास

हिमालयआते रहते हैं। मैं कश्मीर से लेकर बंगाल के दार्जिलिंग तक सुन्दरता की वृद्धि करता रहता हूँ।मेरी इस सुन्दरता पर मुग्ध होकर हिंदी के कवियों ने मेरे सम्बन्ध में अनेक उत्तम रचनाएँ लिखी।राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने विदेशी दासता और मातृभूमि की रक्षा के लिए मेरा ही आवाहन किया है।उनकी दृष्टि में मैं भले ही मौन हूँ।परन्तु सम्पूर्ण भारत की रक्षा में सतत प्रयत्नशील हूँ। भारत रक्षा का मेरा संकल्प अटूट और अजेय है। चिंता मुझे मात्र उन नेताओं से है जो स्वार्थ में आकर मेरे विभाजन करना चाहते हैं। भारतवर्ष की यह हरी भरी धरती मेरी ममता का आँगन है। इसीलिए जयशंकर प्रसाद ने अपनी भारतवर्ष कविता में लिखा है -

please mark as brainliest

Similar questions