हिमालय की बेटियाँ
प्रश्न-अभ्यास
लेख से
1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक
नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
3. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
लेख से आगे
Answers
Explanation:
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1.
नदियों को माँ मानने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुरानी है। नदियों को माँ का स्वरुप तो माना ही गया है लेकिन लेखक नागार्जुन ने उन्हें बेटियों, प्रेयसी व बहन के रूपों में भी देखते है।
2.
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दोनों महानदियाँ हैं जिनमें सारी नदियों का संगम होता है। ये दो ऐसी नदियाँ हैं जो दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूँद से निर्मित हुई हैं। इनका रूप इतना लुभावना है कि सौभाग्यशाली समुद्र भी पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ थामने पर गर्व महसूस करता है। इनका रूप विशाल और विराट है।
3.
काका कालेकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा है क्योंकि यह युगो से एक माँ की तरह हमारा भरण पोषण आई है। Explanation: काका कालेकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा है क्योंकि यह युगो से एक माँ की तरह हमारा भरण पोषण आई है। यह नदियां हमें ना केवल पीने के लिए बल्कि मिट्टी को उपजाऊ बनाने में भी अपने जल को देती है।
4.
हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय की अनुपम छटा की, नदियों की अठखेलियों की, बरफ से ढँकी पहाड़ियों की, पेड़-पौधों से भरी घाटियों की, देवदार, चीड, सरो, चिनार, सफैदा, कैल से भरे जंगलों की प्रशंसा की है।