Hindi, asked by bhaskartechmaster106, 7 months ago

हिमालय के Bitiya निबंध में किसका प्रेम पाकर नदियों का ह्रदय तृप्त है​

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Answered by Anonymous
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हिन्दी भाषा साहित्य के विकास पर कुछ लिखने के पहले मैं यह निरूपण करना चाहता हूँ कि साहित्य किसे कहते हैं। जब तक साहित्य के वास्तविक रूप का यथार्थ ज्ञान नहीं होगा, तब तक इस बात की उचित मीमांसा न हो सकेगी कि उसके विषय में अब तक हिन्दी संसार के कवियों और महाकवियों ने समुचित पथ अवलम्बन किया या नहीं और साहित्य विषयक अपनेर् कत्ताव्य को उसी रीति से पालन किया या नहीं, जो किसी साहित्य को समुन्नत और उपयोगी बनाने में सहायक होती है। प्रत्येक समय के साहित्य में उस काल के परिवर्तनों और संस्कारों का चिद्द मौजूद रहता है। इसलिए जैसे-जैसे समय की गति बदलती रहती है, साहित्य भी उसी प्रकार विकसित और परिवर्तित होता रहता है। अतएव यह आवश्यक है कि पहले हम समझ लें कि साहित्य क्या है, इस विषय का यथार्थ बोधा होने पर विकास की प्रगति भी हमको यथातथ्य अवगत हो सकेगी।

''सहितस्य भाव: साहित्यम्'' जिसमें सहित का भाव हो, उसे साहित्य कहते हैं। इसके विषय में संस्कृत साहित्यकारों ने जो सम्मतियाँ दी हैं, मैं उनमें से कुछ को नीचे लिखता हूँ। उनके अवलोकन से भी साहित्य की परिभाषा पर बहुत कुछ प्रकाश पड़ेगा। 'श्राध्द विवेककार' कहते हैं-

'' परस्पर सापेक्षाणां तुल्य रूपाणां युगपदेक क्रियान्वयित्वं साहित्यम् '' ।

''शब्दशक्ति-प्रकाशिका'' के रचयिता यह लिखते हैं-

'' तुल्यवदेक क्रियान्वयित्वं वृध्दिविशेष विषयित्वं वा साहित्यम्। ''

शब्द कल्पद्रुमकार की यह सम्मति है-

'' मनुष्य-कृत श्लोकमय ग्रन्थ विशेष: साहित्यम्। ''

कवीन्द्र ''रवीन्द्र'' कहते हैं-

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