हिमालय और हम कविता का प्रसंग सहित भावार्थ लिखिए
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हिमालय और हम’ कविता के रचयिता गोपालसिंह ‘नेपाली’ हैं। इस कविता में उन्होंने हिमालय के साथ भारतीयों के संबंधों को स्वर दिया है। भारतीय अस्मिता का प्रतीक हिमालय भारत के गौरव का चिह्न है। हिमालय पर्वत इस पृथ्वी पर सबसे ऊँचा पर्वत है। यह धरती का ताज है। यह भारतीयों के स्वाभिमान का प्रतीक है। यह जितना उच्च स्वाभिमान का परिचायक है, उतना ही सांस्कृतिक चेतना का भी है।
हिमालय की प्राकृतिक छटा भारत के बाह्य व आंतरिक सौंदर्य को व्यक्त करने में भी समर्थ है। प्रभात और संध्या की लालिमा हिमालय के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ भारतीय चिंतन के उस पक्ष को भी व्यक्त करती है, जिसमें सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण किया जाता है।
हिमालय के आँगन में ही सबसे पहले बान का उदय हुआ और यहीं वेदों की ऋचाएँ गूंजी। भारत की मनीषा हिमालय की छाया में प्रसारित होती है। हिमालय की अडिगता और हिमालय का निश्चय ही प्रत्येक भारतवासी के स्वभाव में निहित है इसलिए, वह मृत्युंजयी है। हिमालय तूफानों से लड़ने में समर्थ है। यह कविता हिमालय के माध्यम से भारतीय जीवन-शक्ति को प्रकट करती है।