Hindi, asked by mithubiswas17g, 7 months ago

हिमालय से गंगा निकलती है, वाक्य में "हिमालय से " का पद परिचय बताइये

1.जातिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, पुल्लिंग

2.व्यक्तिवाचक संज्ञा, सम्प्रदान कारक, पुल्लिंग
3.
जातिवाचक संज्ञा, करण कारक, पुल्लिंग

4.व्यक्तिवाचक संज्ञा, अपादान कारक, पुल्लिंग​

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Answered by ItzStrawBerry
20

संज्ञा किसे कहते हैं

संज्ञा किसे कहते हैं, लिंग, वचन, कारक – Sangya in Hindi

Hindi Grammar

Table of Contents

संज्ञा किसे कहते हैं – Sangya in Hindi :-

संज्ञा के भेद – Sangya ke Bhed :

संज्ञा के विकार – sangya ke vikar : –

लिंग के भेद – ling ke prakar:

वचन किसे कहते हैं – vachan in hindi:-

कारक किसे कहते हैं- karak in hindi :–

संज्ञा किसे कहते हैं – Sangya in Hindi :-

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।

जैसे: श्रीराम, करनाल, वन, फल, ज्ञान

संज्ञा के भेद – Sangya ke Bhed :

व्यक्तिवाचक

जातिवाचक

भाववाचक

समुदायवाचक

द्रव्यवाचक

यह भी पढ़े: अलंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

1. व्यक्तिवाचक:– जिस संज्ञा से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, स्थान, का बोध हो |

जैसे: सीता, रोहतक, रामायण, गंगा, यमुना

2. जातिवाचक:– जिस संज्ञा से किसी जाति या वर्ग विशेष का बोध हो |

जैसे:- पुरुष, छात्र, नारी, गौ, बाह्मण, वृक्ष, नदी, राजा, पशु, मित्र

3. भाववाचक :- जिस संज्ञा से पदार्थ या व्यक्ति के गुण-दोष, व्यापार, दशा आदि के भाव का बोध हो |

जैसे – बचपन, बढ़ापा, मिठास, बुराई, प्रसन्नता, घबराहट, लम्बाई, भलाई

4. समुदायवाचक :- जिस संज्ञा शब्द से समुदाय का बोध हो |

जैसे: कक्षा, सेना, भीड़, सभा ।

5. द्रव्यवाचक :– जिस संज्ञा शब्द से द्रव्य या धातु का बोध हो |

जैसे:– घी, तेल, हल्दी, लोहा।

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संज्ञा के विकार – sangya ke vikar : –

लिंग

वचन

कारक

लिंग – Ling in hindi :–

संज्ञा के जिस रुप से स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो उसे लिंग कहते है |

लिंग के भेद – ling ke prakar:

1. पुल्लिंग:– संज्ञा के जिस रुप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिंग कहते है।

जैसे: नाखून, कान, झुमका, तन, घी, पपीता, जल, तिल, दिन, दीपक, संघ, दल, शरीर, दही, मोती।

2. स्त्रीलिंग :– संज्ञा के जिस रुप से स्त्री जाति का बोध हो उसे स्त्रीलिंग कहते है |

जैसे:– मृत्यु, पूर्णिमा, दया, माया, काया, मित्रता, खटास, शत्रुता, सभा, टोली, पंचायत, जड़, सरकार, फौज, पल्टन, भीड़, नाक, आँख |

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लिंग परिवर्तन और उसके नियम:

1. आ लगाने से

आचार्य – आचार्या

महोदय – महोदया

सुत – सुता

2. ई लगाने से

पोता – पोती

ब्राह्मण – ब्राह्मणी

3. इया लगाने से

गुड्डा – गुड़िया

लोटा – लुटिया

4. इका लगाने से

नायक – नायिका

अध्यापक – अध्यापिका

5. इन लगाने से

नाई – नाइन

नाग – नागिन

6. आइन लगाने से

बनिया – बनियाइन

पण्डित – पण्डिताइन

7. नी लगाने से

जाट – जाटनी

शेर – शेरनी

8. आनी लगाने से

भव – भवानी

हिन्दू – हिन्दूआनी

9. इनी लगाने से

ब्रह्मचारी – ब्रह्मचारिणी

अभिमानी – अभिमानिनी

10. मती, वती लगाने से

श्रीमान् – श्रीमती

भगवान – भगवती

11. त्री लगाने से

रचयिता – रचयित्री

नेता – नेत्री

विद्वान – विदुषी

सम्राट – साम्राज्ञी

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3. उभयलिंग:-

कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका प्रयोग दोनो लिंगो में हो सकता है। इन शब्दो में लिंग परिवर्तन नहीं होता |

जैसे- प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति, मैनेजर, इंजीनियर।।

पर्वतों, समयों, हिन्दी महीनो दिनों देशों, जल-स्थल, विभागो, ग्रहों, नक्षत्रो, मोटी, भद्दी, भारी वस्तुओं के नाम पुल्लिंग है।

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वचन किसे कहते हैं – vachan in hindi:-

शब्द के जिस रुप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।

हिन्दी में इसके दो भेद हैं – Vachan Ke Bhed

1. एकवचन :– शब्द के जिस रुप में केवल एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं |

जैसे:– लड़का,पुस्तक, कलम

2. बहुवचन :- शब्द के जिस रुप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं |

जैसे:– लड़के, पुस्तके, कलमें

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कारक किसे कहते हैं- karak in hindi :–

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका सम्बन्ध वाक्य की क्रिया या किसी अन्य शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक कहते हैं।

Karak in Hindi Grammar Table:

karak table

कर्ता :- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है उसे कर्ता कारक कहा जाता है।

जैसे – मोहन पुस्तक पढ़ता है।

कर्म :– संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं।

जैसे– श्याम पाठशाला जाता है।

करण :-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो उसे करण कारक कहा जाता है।

जैसे – राम ने बाण से बालि को मारा

सम्प्रदान :- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप के लिए क्रिया की जाए उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है

जैसे – अध्यापक विधार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।

अपादान :- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से पृथकता आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता है उसे अपादान कारक कहा जाता है |

जैसे – गंगा हिमालय से निकलती है।

सम्बन्ध :– संज्ञा या सर्वनाम का जो रुप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे उसे सम्बन्ध कारक कहते है।

जैसे – यह मोहन का घर है

अधिकरण :– संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं।

जैसे– वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।

सम्बोधन :– संज्ञा का जो रुप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो।

जैसे – हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो

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Answered by tushargupta0691
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उत्तर:

व्यक्तिवाचक संज्ञा, अपादान कारक, पुल्लिंग​

व्याख्या:

  • एक व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या चीज़ के लिए एक विशिष्ट (अर्थात, सामान्य नहीं) नाम है। व्यक्तिवाचक संज्ञाएं हमेशा अंग्रेजी में पूंजीकृत होती हैं, चाहे वे वाक्य में कहीं भी हों। क्योंकि वे संज्ञाओं को एक विशिष्ट नाम देते हैं, उन्हें कभी-कभी उचित नाम भी कहा जाता है।
  • वाक्य में जिस स्थान या वस्तु से किसी व्यक्ति या वस्तु के अलग होने या तुलना करने का भाव होता है, वह अस्तित्वहीन कारक होता है। अर्थात् अपदान कारक से अलग होने या अलग होने का भाव होता है। प्रेम, घृणा, लज्जा, ईर्ष्या, भय और विद्या आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए।
  • संज्ञाओं और विशेषणों के लिंग का पुल्लिंग या निरूपण, जिसे पारंपरिक रूप से पुरुष माना जाता है।

इस प्रकार यह उत्तर है।

#SPJ3

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