१. हे मातृभूमि !!हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शीश नवाऊँ।मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।||5माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला;जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।6R2)जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।८ 1।माई ! समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर; |करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।।)सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनें-सुनाऊँ ।।0तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ ।।मन और देह तुम पर बलिदान मैं जाऊँ ।। ........; isk poem ka matlab Hindi mein likh kar batao
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हे मातृभूमि का सारांश :
हे मातृभूमि कविता राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखी गई है | प्रस्तुत कविता में मातृभूमि के प्रति प्रेम और भक्तिभाव को व्यक्त किया है | कविता में सेवा करने और देशभक्ति में निछावर होने जाने की इच्छा को प्रकट किया है |
हे मातृभूमि मैं आपके चरणों में शीश झुकाना चाहता है | मैं अपनी भक्ति भेंट करना चाहता हूँ | आपकी शरण में आना चाहता हूँ |आप माथे में आप चंदन की तरह हो , छाती पर आप माला की तरह हूँ | जीभ पर आपका नाम लू , आपके भक्ति के गीत गता रहूँ | मैं आपके चरणों को दबाऊँ |
श्रीराम , श्री कृष्ण जैसे सपूत यहाँ पैदा हुआ , उस धूल को अपने शीश में लगाऊं | हे मातृभूमि मैं तेरी सेवा में कोई कोई भेद-भाव न करूं , तेरे पुण्य नाम को सुनु और सब को सुनाऊँ | हे मातृभूमि तेरे ही काम आऊं , तेरे ही मंत्र गाऊँ | आपके लिए अपना जीवन बलिदान करूं |
Answer:
मै भेदभाव तजकर वह पुणे जिल्ह्यातील एक भारतीय राजकारणी व इतर काही ठिकाणी नोंदवा