हे मातृभूमि कविता का भावार्थ लिखो
Answers
मेरा देश शांति और स्वतंत्रता के लिए खड़ा है। यह वास्तव में एक सुंदर और समृद्ध देश है। मेरे देशवासी दुनिया में सबसे ज्यादा अलग हैं और यहां महिलाएं दयालु हैं, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति भी हैं।
मातृभूमि वह जगह नहीं है जहां एक व्यक्ति पैदा हुआ था। लोग हमेशा एक बेहतर जीवन की खोज में रहते हैं ताकि वे अपनी मातृभूमि पा सकें। कवि जो कहते हैं उसमें सच्चाई का एक बड़ा बात है, लेकिन, व्यक्तिगत रूप से, मुझे लगता है कि मातृभूमि जन्म स्थान है। यह बचपन, स्कूल, दोस्तों और परिवार से जुड़ा हुआ है।
Answer:
हे मातृभूमि कविता का भावार्थ है---
Explanation:
अर्थ: कवि अपनी मातृभूमि से कहता है कि जिस भूमि पर राम व कृष्ण जैसे सपूतों का जन्म हुआ है, उसकी धूल को मैं अपने सिर पर चढ़ाना चाहता हूँ अर्थात कवि अपनी मातृभूमि की महानता के आगे नतमस्तक है
मातृभूमि गुप्त जी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें अपने जन्मभूमि का गुणगान करके उसकेलिए अपने जान भी देना का आह्वान करते हैं। मातृभूमि के हरियाली केलिए नीलाकाश एक सुंदर वस्त्र की तरह शोभित है। सूरज और चाँद इसकी मुकुट है, सागर इसकी करधनी है। यहाँ बहनेवाली नदियाँ प्रेम का प्रवाह है।
मातृभूमि कविता में कवि अपनी जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं। इस कविता में कवि अपनी मातृभूमि से विनती करते हैं कि वह उन्हें ऐसा वरदान दे जिसके जरिए वे कभी झूठ ना बोले ना कभी किसी का दिल दुखाए और पढ़ लिखकर अच्छी चीजें सीखते जाए।
#SPJ3