हे मातृभूमि! Kavita ka saral aarth
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इस कविता में कवि हमारी मातृभूमि की प्रशंसा करते हुए कहता है कि हे मातृभूमि हम तुम्हे शत शत प्रणाम करते हैं क्यूँकि तुमने अमरो को जनम दिया है। तुम धन्य हो। तुम वन्दना के योग्य हो क्यूँकि तुम्हारे हृदय में गांधी, बुद्ध और राम जैसे महापुरुष निद्रित है। जिन्होने इस भारतवर्ष को जगत प्रसिद्ध तथा पुण्य भूमि बनाया है।
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matrabhumi kavita ke racheta ka name likhiye
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