Hindi, asked by vinitathakur12345678, 6 months ago

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शीश नवाऊँ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला;
जिहवा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ।।
मृत्यु
परिच
भारत
नहीं

जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
माई ! समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
प्र
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ-सुनाऊँ ।।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुम पर बलिदान मैं जाऊँ ।। अब मैसेज बता नहीं जा रही हूं कभी मातृभूमि के प्रति त्यागना चाहता है ​

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Answered by coolnishkarshrajgupt
8

कवि कहता है कि कविता बहुत सुंदर है

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