हेमंत ऋतु के बारे में जानकारी
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22अक्टूबर को शरद ऋतु की बिदाई हो गई है और 23 को हेमंत का आगमन हो गया है। नाथद्वारा सहित वैष्णव धर्म के मंदिरों में श्रीनाथजी को जहाँ गर्मी में मोगरे का श्रृंगार तथा चंदन का लेप किया जाता है, वहीं जाड़ों में रजाई ओढ़ाई जाती है तथा उनके भोग में केसर कस्तूरी तथा अन्य पोषक पाक होते हैं। शीत ऋतु दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर।
दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। सर्दी आते ही क्या हितकर है इसका उपदेश हमारे यहाँ धर्मशास्त्र भी करते हैं और आयुर्वेद भी। स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी बातों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण तो होता ही है, धर्म उसे धार्मिक कर्तव्य के रूप में विहित कर देता है।
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हेमंत ऋतु वह ऋतु है जो शरद (शरद ऋतु) और शिशिर (सर्दियों) के बीच आती है इस ऋतु को कभी-कभी पूर्व-शीत ऋतु भी कहा जाता है। इस मौसम में शरद ऋतु से सर्दियों तक संक्रमण होता है और न्यूनतम तापमान (भारतीय मानकों के अनुसार) में न्यूनतम तापमान 10-15 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। नवंबर और दिसंबर हेमंत के महीने हैं।पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हेमंत रितु 'मार्गशीर्ष' और 'पूसा' मासा के दौरान प्रबल है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, यह मध्य अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक है। हेमंत ऋतु वास्तव में वर्ष का सबसे सुखद समय है। इस समय के दौरान अनुभव किए जाने वाले उत्सव की भावना को बढ़ाने के लिए मौसम सबसे अनुकूल है।
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