हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?
Answers
Answer:
आज उस ईद के गुज़रे हुए कई साल बीत चुके हैं। कितने साल हुए, हामिद को अब ठीक ठीक याद नहीं। लगभग बीस साल हो गए होंगे। हामिद अब बड़ा हो चुका है। हामिद के बारे में आप सब जानते हैं। वही हामिद, जो ईद के मेले में अपने लिए खिलौने या मिठाइयों के बदले अपनी दादी अमीना के लिए तीन पैसे में चिमटा खरीद लाया था। दूसरे दोस्तों ने उसे बहुत चिढ़ाया, लेकिन उसकी बुद्धिमानी भरी बातें सुनकर महमूद, मोहसिन, नूरा और शम्मी सभी चिमटे के लिए ही लालायित हो गए थे। घर आने के बाद अमीना ये जानकर हतप्रभ रह गई और उसकी आंखों से जो अश्रुधारा फूटी उसने फिर बंद होने का नाम नहीं लिया। पूरे गाँव भर में कोई हामिद की बुद्धिमानी की चर्चा करता था,कोई उसकी गरीबी पर अफसोस। लेकिन , परिस्थितियां नहीं बदलीं। हामिद की इस मासूमियत भरी चिमटे की कहानी और बूढ़ी अमीना की बेबसी पर भी अल्ला मियाँ का दिल नहीं पिघला। एक दिन गरीबी, बुढ़ापा और बीमारी उसे अल्ला मियां के दरबार तक ले गई। हामिद तब दस साल का था।अब तक तो किसी तरह बूढ़ी अमीना कपड़े सिलकर, मांग कर उसका और अपना पेट चला रही थी और हामिद को मदरसे पढ़ने भेज रही थी। अब हामिद अकेला था और उसके पेट की ज़िम्मेदारी भी अब उसी पर थी। कुछ दिन गांववालों ने चलाया, कभी कोई खाना दे जाता, कभी कोई और। धीरे-धीरे सब बंद हो गया। उसके सभी दोस्त भी उससे मिलने या खेलने नहीं आते थे। उनकी अम्मियों ने मना किया था। कभी कभी मोहसिन छुपकर उससे मिलने आता। कई दिन फाके के बाद एक दिन वो आम के बाग के पास एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। उसने नीचे गिरे हुए कुछ आम के टिकोरे खाये थे और पास के कुँए का पानी पिया था। तभी चौधरी कायमअली उधर से गुजरे। उन्होंने उसे अपनी बग्घी पर बिठाया और अपने घर ले आये। उसे खाना खिलाया और अपने यहां अस्तबल के काम पर लगवा दिया। खाली समय में मदरसे जाने का भी इंतेज़ाम कर दिया। हामिद के दिन कटने लगे। उसने गांव के सरकारी स्कूल से दसवीं भी पास कर ली है। कुछ सालों बाद चौधरी कायमअली भी अल्ला को प्यारे हो गए और उनकी जगह उनके लड़के कामकाज देखने लगे। उन्होंने एक दिन हामिद को बुला कर कह दिया कि उसे अब काम पर आने की कोई जरूरत नहीं। घोड़े अब रहे नहीं, मोटर आ गए हैं जिसे लड़के खुद चलाने के शौक़ीन हैं। इसलिए अब उसकी कोई जरूरत नहीं। अब्बाजान को तो खैरात बांटने की आदत थी। एक बार फिर हामिद के ऊपर पेट की चिंता आ पड़ी। हामिद के सभी दोस्त कुछ न कुछ कर रहे थे। महमूद पुलिस महकमे में सिपाही की नौकरी में लग गया, नूरा को बचपन से ही वकील पसंद थे, वो वकालत पढ़ने शहर चला गया। मोहसिन और शम्मी चौधरी के बेटों से कर्ज लेकर विदेश चले गए थे। सुना है, वहां बहुत पैसा है। लेकिन, घर आने नही मिलता दो-तीन सालों तक। पैसा ही बहुत होगा तो किसे फुरसत है घर जाने की।लेकिन, हामिद भी अब बच्चा नहीं था। उसने थोड़ी पढ़ाई भी की थी। उसने तहसील के रोज़गार केंद्र जाकर अपना नामांकन करवाने की सोची। देश के आज़ाद होने के बाद सरकार बड़े अच्छे काम कर रही है। उसमें एक रोजगार केंद्र भी है। वहां कोई पढ़ा लिखा जाकर अपना नामांकन करवाता है और उसे उसके लायक नौकरी मिल जाती है। एक दिन उसने अहमद मियां को अखबार पढ़कर सबको सुनाते हुए सुना था। वो रोज़गार केंद्र पहुंचा–
—नाम??
—हामिद अली।
—कहाँ तक पढ़े हो ?
—दसवीं तक।
Explanation:
please follow me ☺☺ I hope it's help you
Answer:
I hope it's help you.....
good morning
have a great day ahead!
Always keep smile
Explanation: