(४) हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती ।।
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती ।।
(1) जौं तुम्हारि अनुसासन पाव, कंदुक इव ब्रह्माण्ड उठावों।
काचे घट जिमि डारों फोरि, सकउँ मेरू मूसक जिमि तोरी।।
(vii) "नकली व्यूह युद्ध की रचना और खेलना खूब शिकार ।
सैन्य घेरना दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार''
(viit)
चढ़त तुरंग, चतुरंग साजि सिवराज,
चढ़त प्रताप दिन-रात अति जंग में।inme konsa ras h
please jldi answer di jiye it's urgent
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इन सभी में वीर रस होगा क्योंकि ये सभी वीरता प्रदर्शन वाक्य है।
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