हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छांह तले जो पुरुष तत्कालीन प्रलय प्रवाह देख रहा था, वह श्री जयशंकर प्रसाद कृत कामायनी काव्य का नायक था। तब से बहुमत के शिखर पर बैठा हर पुरुष, भले ही वह संन्यासी गृहस्थ हो, सदन की शीतल छांह तले एक शांतिपूर्ण प्रलय का प्रवाह ही देखता आया है।
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Answer:हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छांह तले जो पुरुष तत्कालीन प्रलय प्रवाह देख रहा था, वह श्री जयशंकर प्रसाद कृत कामायनी काव्य का नायक था। तब से बहुमत के शिखर पर बैठा हर पुरुष, भले ही वह संन्यासी गृहस्थ हो, सदन की शीतल छांह तले एक शांतिपूर्ण प्रलय का प्रवाह ही देखता आया है। Nahi
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