Hindi, asked by rohitjain7329, 9 months ago

हिमकर निराश कर चला रात भी काली इस समय काली मां माई जागी क्यों आली? से आप क्या समझते हैं
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Answered by Anonymous
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क्या गाती हो?

क्यों रह-रह जाती हो?

कोकिल बोलो तो!

क्या लाती हो?

सन्देशा किसका है?

कोकिल बोलो तो!

ऊँची काली दीवारों के घेरे में,

डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,

जीने को देते नहीं पेट भर खाना,

मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!

जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,

शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?

हिमकर निराश कर चला रात भी काली,

इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?

क्यों हूक पड़ी?

वेदना-बोझ वाली-सी;

कोकिल बोलो तो!

बन्दी सोते हैं, है घर-घर श्वासों का,

दिन के दु:ख का रोना है निश्वासों का,

अथवा स्वर है लोहे के दरवाजों का,

बूटों का, या सन्तरी की आवाजों का,

या गिनने वाले करते हाहाकार।

सारी रातें है-एक, दो, तीन, चार-!

मेरे आँसू की भरीं उभय जब प्याली,

बेसुर! मधुर क्यों गाने आई आली?

क्या हुई बावली?

अर्द्ध रात्रि को चीखी,

कोकिल बोलो तो!

किस दावानल की

ज्वालाएँ हैं दीखीं?

कोकिल बोलो तो!

निज मधुराई को कारागृह पर छाने,

जी के घावों पर तरलामृत बरसाने,

या वायु-विटप-वल्लरी चीर, हठ ठाने

दीवार चीरकर अपना स्वर आजमाने,

या लेने आई इन आँखों का पानी?

नभ के ये दीप बुझाने की है ठानी!

खा अन्धकार करते वे जग रखवाली,

क्या उनकी शोभा तुझे न भाई आली?

तुम रवि-किरणों से खेल,

जगत को रोज जगाने वाली,

कोकिल बोलो तो!

क्यों अर्द्ध रात्रि में विश्व

जगाने आई हो? मतवाली

कोकिल बोलो तो!

दूबों के आँसू धोती रवि-किरनों पर,

मोती बिखराती विन्ध्या के झरनों पर,

ऊँचे उठने के व्रतधारी इस वन पर,

ब्रह्माण्ड कँपाती उस उद्दण्ड पवन पर,

तेरे मीठे गीतों का पूरा लेखा,

मैंने प्रकाश में लिखा सजीला देखा।

तब सर्वनाश करती क्यों हो,

तुम, जाने या बेजाने?

कोकिल बोलो तो!

क्यों तमोपत्र पत्र विवश हुई,

लिखने चमकीली तानें?

कोकिल बोलो तो!

क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?

हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,

कोल्हू का चरक चूँ? जीवन की तान,

मिट्टी पर अँगुलियों ने लिक्खे गान?

हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,

ख़ाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।

दिन में करुणा क्यों जगे, रूलानेवाली,

इसलिए रात में गजब ढा रही आली?

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