हेमन्त Ritu par nibandh in sanskrit in sanskrit in sanskrit
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शरद पूर्णिमा के बाद से हेमंत ऋतु प्रारंभ होती है। शीत ऋतु दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर।
Explanation:
दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। हेमंत ऋतु अर्थात मार्गशीर्ष और पौष मास में वृश्चिक और धनु राशियां संक्रमण करती हैं। वसंत, ग्रीष्म और वर्षा देवी ऋतु हैं तो शरद, हेमंत और शिशिर पितरों की ऋतु हैं।
हेमंत ऋतु में कार्तिक, अगहन और पौष मास पड़ेंगे तो कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि तीज-त्योहार पड़ेंगे, वहीं कार्तिक स्नान पूर्ण होकर दीपदान होगा। कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह होगा और चातुर्मास की समाप्ति होगी, तो बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन भी इसी मास में होगा।
अगहन अर्थात मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती, दत्त जयंती आएगी। पौष मास में हनुमान अष्टमी, पार्श्वनाथ जयंती आदि के अलावा रविवार को सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।
शोकार्तस्यापि में पम्पा शोभते चित्र कानना। व्यवीर्णा बहुविधै : पुष्पैः शीतोदका शिवा।। "पुष्पाभारसमृद्धानि शिखराणि समन्ततः।
लताभिः पुष्पिताग्राभिरूपगूढानि सर्वतः ।। "सुपुष्पितांस्तु पश्यैतान कर्णिकारान् समन्ततः। द्वाटकप्रतिसंछन्नान नरान् पीताम्बरानिव।। "अशोकस्तबकाङ्क.ारः षटपदस्वननिःस्वनः। मांहि पल्लवताम्रार्चिर्वसन्ताग्निः प्रधक्ष्यति।। "गिरिप्रस्थास्तु सौमित्रे सर्वतः सम्प्रपुष्पितैः । निष्पत्रै सर्वतो रम्यैः प्रदीप्ता इव किंशुकैः ।। पम्पातीररूहाश्चेमे संसिक्ता मधुगन्धिनः। मालतीमल्लिकापद्वाकरवीराश्च पुष्पिता : ।।