हानिकारक फसल कीड़ों का आध्यानन येवम उनकी रोकथाम के जैविक उपाय likhiye
Answers
Answer:
हानिकारक फसल कीटों का अध्ययन एवं उसके रोकथाम का जैविक उपाय करना
हानिकारक कीटों का अध्ययन।
रोकथाम के जैविक उपाय।
हानिकारक कीटों का अध्ययन।
फसलों को हानि पहुँचने वाले किट निम्न प्रकार के हैं :-
माहू (Aphids)
रेड माइट्स (Red Mites)
सफ़ेद गिडार (White Grubs)
कर्तन किट (Cutworm)
लीफमाइनर (Leaf Minor)
फल / फली छेदक (Pod Borer)
मिली बग (Mealy Bugs)
सफ़ेद मक्खी (White flies)
जैसिड (Jassids)
Explanation:
1. माहू (Mahu)
माहू अपने चुभने व चुसनेवाली मुखांगो से कोशिकाओं का रस चूसता है यह पत्तियों पर मधू जैसे पदार्थ का उत्सर्जन करता है जो बाद में काला रंग का फफूंद सा दिखाई देता है।
2. कर्तन किट (Cutworm)
ये अधिभार खाये नहीं जाते, यह कर्तन किट रात में नए पौधे पर आक्रमण करते तथा अत्याधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
3. लीफ माइनर (Leaf Minor)
मेंगट या इल्ली पट्टी के अंदर सुरंग बनाती हैं तथा लैमिना या पृण्डल को मोड़कर बना देती है तथा पत्ती को सुखा देती है।
4. जैसिड (Jassids)
ये पत्तियों से रस चुसता है इस कारण पत्तियां पीले रंग को हो जाती है तथा मुङने लगती है । इसके कारण पत्तियां जलने लगती हैं ।
उपाय
प्रतिजैविक एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ है। इसका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवों (जैसे :- कवक, जीवाणु) के द्वारा होता है। यह दूसरे हानिकारक (जैसे :- रोग उत्पन्न करने वाले सुक्ष्म-जीव) सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को मंद कर देते हैं या समाप्त कर देते हैं।
कुछ प्रतिजैविक निम्न हैं :-
पेनिसिलिन
टेरामाइसिन
जैविक नियंत्रण के लाभ
जैविक नियन्त्रण क लाभ यह है कि एकबार स्थापित होने पर यह स्थायी, स्व-स्थायी है और इसमें व्यय शामिल नहीं है और इसके अलावा यह सुरक्षित है। एजेंटों के जैविक नियंत्रण के ख़िलाफ़ कीड़े कभी भी प्रतिरोधी नहीं बनते।