Ha- निम्रलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
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परोपकार से बढ़कर और कोई पुण्य नहीं है। वेदों और उपनिषदों में भी यही कहा गया है। भारतीय संस्कृति परोपकार
के लिए जानी जाती है। महर्षि दधीचि ने वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियाँ दान में दे दी थीं। राजा शिवि
ने कबूतर की रक्षा के लिए बाज को अपना मांस काटकर खिलाया। दूसरों के कष्टों को अपनाकर देखिए कष्ट में किसी
का सहारा बनकर देखिए। दुखी व्यक्ति के दुःख दूर हो जाने पर उसके मुख पर आई मुस्कान का कारण यदि आप हैं,
तो आप से महान और कोई नहीं है।
1. वेदों और उपनिषदों में क्या कहा गया है ?
2. दूसरों के लिए किस-किसने बलिदान दिए ?
3. महान कौन है?
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1भारतीय संस्कृति परोपकार के लिए जानी जाती है
2महर्षि दयानंद ने वीरता सूर्य से देवताओं की रक्षा के लिए अपने अतिथियों का दान में दे दी थी राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए बाज को अपना मांस काटकर खिलाया
3 दुखी व्यक्ति के दुख दूर हो जाने पर उसके मुख पर आई मुस्कान का कारण यदि आप है तो आप से महान और कोई नहीं है
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1भारतीय संस्कृति परोपकार के लिए जानी जाती है
2महर्षि दयानंद ने वीरता सूर्य से देवताओं की रक्षा के लिए अपने अतिथियों का दान में दे दी थी राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए बाज को अपना मांस काटकर खिलाया
3 दुखी व्यक्ति के दुख दूर हो जाने पर उसके मुख पर आई मुस्कान का कारण यदि आप है तो आप से महान और कोई नहीं हैl
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