होने पर कौन कुपित हुआ
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महाराज जनेक द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ में जिस धनुष को राम ने तोड़ा, वह परशुराम के गुरु भगवान शिव का धनुष था। गुरु के धनुष के तोड़े जाने को परशुराम ने गुरु का अपमान माना। इसी कारण परशुराम अत्यन्त कुपित थे और धनुष को तोड़ने वाले को शत्रु के समान मानते हुए, उसे दण्ड देना चाहते थे।
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