हिन्दी अनुवाद
छायामन्यस्य कुर्वन्ति, तिष्ठन्ति स्वयमातपे।
फलान्यपि परार्थाय, वृक्षाः सत्पुरुषाः इव।।1।
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दूसरे को छाँव देते हैं खुद धूप में खड़े रहते हैं, फल भी दूसरों के लिए होते हैं; सचमुच वृक्ष सत्पुरुष जैसे होते है।।
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