हिन्दी काव्यजगतके पाचँ कवियो का जीवना परिचय उनकी काव्यकृतियो को बताओ
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1 कबीर दास जी ÷ कबीर दास जी भक्ति काल निर्गुण काव्य धारा के प्रमुख संत कवि थे उनका जन्म 1398 इसवी में हुआ था | नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंपति ने इनका पालन पोषण किया | कबीर दास जी रामानंद के शिष्य थे उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से समाज में फैली रूढ़ियों पाखंडी और अंधविश्वासों का विरोध किया | कबीर दास जी की रचना साक्षी शब्द और रमैनी के नाम प्रसिद्ध है | कबीर जी कुछ उक्ति यों से प्रतीत होते हैं कि वे निरक्षर थे कुछ नवीनतम खोजों के आधार पर उन्हें साक्षर माना जाता है कबीर जी की भाषा शुद्ध ककड़ी खड़ी बोली है | कबीर दास जी का निधन 1495 ईस्वी में हुआ|
2 बिहारी÷ रीतिकाल के कवियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं प्रमुख रूप से श्रृंगारी कवि थे उनका जन्म ग्वालियर के बसवा गोविंदपुर गांव में संत 1595 ईस्वी में हुआ था जब यह सात आठ वर्ष के थे तो इनके पिता जी ओरछा चले गए थे यहां उन्होंने आचार्य केशवदास से काव्य की शिक्षा प्राप्त की थी कुछ वर्ष जयपुर में भी रहे थे बिहारी ने अपनी सारी प्रतिभा एक पुस्तक के निर्माण में लगा दी जो साहित्य जगत में बिहारी सतसई नाम से विख्यात है इसमें 713 दोहे हैं प्रत्येक दोहे के भाव गंभीर को देखकर पता चलता है कि बिहारी ने गागर में सागर भरने की क्षमता थी उन्होंने अपने एक ही दोहे के प्रभाव से राजा जयश्री को संचित कर दिया था राजा जयसिंह आरंभ में बिल वासी राजा था वह अपने ना अपने नव विवाहित पत्नी पर इतना आशीर्वाद हुआ कि उसने राज दरबार के कामों में मुंह तोड़ लिया था लेकिन बिहारी के निम्नलिखित दोहे ने राजा जयसिंह की आंखें खोल दी |
3 प्रेमचंद जी हिंदी साहित्य के प्रथम कलाकार हैं जिन्होंने साहित्य का नाता जनजीवन से जुड़ा है उन्होंने अपने कथा साहित्य को जन्म जीवन के चित्र द्वारा सजीव बना दिया है उन्हें उपन्यास सम्राट कहते हैं स्कूल मास्टर इन फैक्ट्री मैनेजर के अतिरिक्त उन्होंने इस माधुरी पत्रिकाओं का संपादन भी किया था देश जीवन भर अधिक अभावों से जूझते रहे प्रेमचंद्र जी का जन्म 31 जुलाई सन 18 सो 80 ईस्वी को वाराणसी के लमही नामक गांव में हुआ था उनका वास्तविक नाम धनपत राय था आरंभ में वे उर्दू में नवाब राय के नाम से लिखते थे सोजे वतन उर्दू के प्रकाशित उसका पहला कहानी संग्रह था जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने जप्त कर लिया था युग के प्रभाव ने उनको हिंदी की ओर आकर्षित कर दिया उन्होंने सदा वही लिखा जो उनकी आत्मा ने कहा कि मुंबई में पटकथा लेखन के रूप में अधिक समय तक भी इसलिए कार्य नहीं कर पाए क्योंकि उन्हें वहां फिल्म निर्माताओं के निर्देशों के अनुसार लिखना पड़ता था उन्हें तो स्वतंत्र लिखना ही अच्छा लगता था निरंतर साहित्य साधना करते हुए 8 अक्टूबर सन 1936 ईस्वी को उनका निधन हो गया|
4 महादेवी वर्मा ÷ श्रीमती महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के आधुनिक युग की मीरा के नाम से विख्यात है इसका कारण यह है कि मीरा की तरह महादेवी जी ने अपने बिरहा चेतना को कला के रंग में रंग दिया है महादेव जी का जन्म उन्नीस सौ 7 ईसवी होली के दिन उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद नामक नगर में हुआ था इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई माता के प्रभाव से इनके हृदय में भक्ति भावना के अंकुर को जन्म दिया सन 1933 में इन्होंने प्रयास में संस्कृत विषय में m.a. की शिक्षा उतरने की सन 1956 ईस्वी में भारत सरकार ने इन्हें पदम भूषण से अलंकृत किया तथा इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया इन्हें चित्रकला में भी रूचि थी 11 सितंबर सन 1987 मैं इनका निधन हो गया |
5 जयशंकर प्रसाद ÷ श्री जयशंकर प्रसाद छायावादी काव्यधारा के एक महान कलाकार माने जाते हैं इनका जन्म सन 1889 इस बीमे काशी के प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था इन्होंने अपने शिक्षा काल में भारत की कई भाषाओं का अध्ययन किया था इसलिए इन्हें काव्य की भाषा संबंधी सभी गुण पाए जाते हैं इन्होंने प्राचीनता तथा नवीनता के आधार पर ही अपने साहित्य की रचना की यद्यपि हिंदी जगत में इनकी कहानियां तथा उपन्यास भी बहुत लोकप्रिय रहे हैं फिर भी इनको प्रसिद्ध का मुख्य आधार इनका काव्य है सन 1973 ईस्वी में इनका देहांत हो गया |