Hindi, asked by suhani3927, 4 months ago

हिन्दी मे एक अपनी रोचक यात्रा का वर्णन कीजिये 80 से 100 शब्दो मे (ye mer mam ne winter vacation ka holiday homework diya h please bata do m kahi gyi hi nahi hu to mujhe samajh nahi aa raha h ki kya likhu m kahi nahi gyi hu isliye)​

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Answered by dipesh0411
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Answer:

मेरा नाम•••••••••••• में आज ताजमहल घूमने गया था यह विश्व का सबसे सुंदर और 7 अजूबो में से एक है

ताजमहल संगमरमर के बना हुआ है जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए बनवाया था उस समय ताजमहल को बनने में 20 वर्ष का समय तथा 5 करोड़ रुपये का खर्च लगा था इसे 10,000 मजदूरों ने दिन रात काम कर्जे बनाया था और आज बजी इसकी खूबसूरती उतनी ही बेकरार है

ताजमहल सुबह गुलाबी, शाम को सुन्हेरा, चांदनी रात ने नीला ओर दिन के उजाले में सफेद दिखाई देता है

Explanation:

its ok aab thodi or details google se dekh kar daal dena or bata dena ki tumne yaha picnic banayi

lal kila dekha or lal kile se tajmahal dikhayi deta hai agra ka lal kila ka diwane aam ke stambh ek line me dikhayi dete hai kahi se bhi dekho

Answered by VanshikaBhati646
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Answer:

मैं भी इस साल अप्रैल में अपने दोस्तों के साथ वैष्णों देवी की यात्रा पर गई थी। मैं वहाँ अपने परिवार के साथ पहले भी जा चुकी थी और हमनें बहुत ही मजे किए थे। दोस्तों के साथ यात्रा का और परिवार के साथ यात्रा का अलग ही मजा है। हम पाँच दोस्त थे और हमने रेलगाड़ी से यात्रा करने का तय किया था और उस समय रेलों मैं बहुत ही ज्यादा भीड़ थी। हमारी ट्रेन अंबाला से रात के 10 बजे की थी। ट्रेन के आते ही हम सब उसमें सवार हो गए और खाना खाया। हम सभी दोस्तों ने रात को लुडो खेला, अंताक्षरी खेली। जम्मु से ट्रेन के गुजरते वक्त हमनें खिड़किया खोलकर ठंडी हवा का आंनद लिया। हम सुबह 7 बजे कटरा पहुँचे जहाँ के पहाड़ों में माता वैष्णों देवी का मंदिर स्थित है।

हम लोगों ने वहाँ पर पहुँचकर हॉटल में कमरा लेकर विश्राम किया और एक बजे माता के मंदिर के लिए चढाई शुरू की जो कि 14 किलोमीटर की है। लगभग दो किलोमीटर चढ़ने के बाद हम बाण गंगा पहुँचे और वहाँ पर स्नान किया। गंगा का पानी बहुत ही शीतल था। उसके बाद हमने रूककर खाना खाया। वैष्णों देवी की चढ़ाई पर सुरक्षा के बहुत ही अच्छे इंतजाम किए गए है। बुढ़े लोगों की चढाई के लिए खच्चर और पालकी आदि का इंजाम है। बच्चों को और बैगों को उठाने के लिए पिठ्ठू वाले है। उनकी हालत बहुत ही दयनीय होती है वह अपनी आजीविका चलाने के लिए यह कार्य करते है। हम आस पास देखते हुए हंसते खेलते माता रानी का नाम लेकर चढ़ाई चढ़ते गए। दोपहर में गर्मी होने के कारण हम थोड़ी-थोड़ी दुरी पर नींबू पानी जूस आदि पीते रहे। ऐसे करते करते हम माता के मंदिर पहुँच गए और 6 घंटे लाईन में लगने के बाद माता रानी के दर्शन हुए। उसके बाद हमनें भैरों बाबा की चढ़ाई शुरू की जिसके बिना यात्रा को अधुरा माना जाता है। रात को बहुत ही ज्यादा ठंड हो गई थी। हमनें नीचे

उतरना शुरू किया। कमरे पर पहुँच कर हमने आराम किया और वापसी के लिए ट्रेन पकड़ी। तीन दिन की इस यात्रा ने हमें बहुत ही सुखद अनुभव दिया जिसे हम कभी नहीं भूल सकते।

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