Hindi, asked by ddmsachin, 6 months ago

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों में एक ही प्रकार को उदारता है । तो फिर मनुष्क धर्म
नाम पर इतना उन्मत्त क्यों हो गया है ? मूल बात यह है कि इन झगड़ों का कारण धर्म नहीं है, इनके
मूल में स्वार्थ है।​

Answers

Answered by harsh21205
1

Answer:

hmmm

Explanation:

u r right buddy now just go to hell

Answered by hemakumar0116
0

Answer:

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी… दुनिया के कई सारे धर्मों के बीच इन दिनों एक नया धर्म चर्चा में आया है. यह है: अब्राहमी धर्म. इस नए धर्म की फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसकी न तो अभी नींव रखी गई है और न ही इसके अनुयायी मौजूद हैं. हर धर्म का एक धार्मिक ग्रंथ होता है, लेकिन इस अब्राहमी धर्म का आज की तारीख तक कोई धर्मग्रंथ नहीं है.

Explanation:

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी… दुनिया के कई सारे धर्मों के बीच इन दिनों एक नया धर्म चर्चा में आया है. यह है: अब्राहमी धर्म. इस नए धर्म की फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसकी न तो अभी नींव रखी गई है और न ही इसके अनुयायी मौजूद हैं. हर धर्म का एक धार्मिक ग्रंथ होता है, लेकिन इस अब्राहमी धर्म का आज की तारीख तक कोई धर्मग्रंथ नहीं है.

इतने के बावजूद इस धर्म की खूब चर्चा हो रही है. मिस्र में धार्मिक एकता के लिए शुरू हुई मुहिम मिस्र फैमिली हाउस की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर अल अजहर के शीर्ष इमाम अहमद अल तैय्यब की इस धर्म को लेकर की गई टिप्पणी के बाद आलोचना भी हो रही है. ऐसे में बहुत से लोगों के मन में ये सवाल है कि क्यों अचानक अब्राहमी धर्म की चर्चा तेज हो गई है. मनुष्य जिसे धारता करता है वही उसका धर्म है। वास्तव में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एक संम्प्रदाय संस्कृति के पहचान हैं जिसे भारत ने आज तक जीवित रखा है। हम सबको मिलकर महात्मा गांधी के सर्व धर्म समाज की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहिए।

यह बातें गांधी जयंती के अवसर पर नटराज चौक में आयोजित सर्व धर्म प्रार्थना सभा में नपं अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कही। उन्हाेंने कहा कि गांधी जयंती पर हम सब मिलकर गांधी जी के सपनों का भारत संपूर्ण स्वच्छता और विकास की कल्पना को साकार करें। पूर्व नपं अध्यक्ष डॉ. शांति कुमार कैवर्त्य ने राष्ट्रीय समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कश्मीर से धारा 370 समाप्त कर समता मूलक समाज की स्थापना पर बल देते हुए कहा कि बापू का सपना तभी साकार हो पाएगा जब प्रत्येक भारतीय को अपने ही देश में सामान अधिकार मिले। कार्यक्रम समन्वयक सरोज सारथी ने देश के वर्तमान स्थिति और राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि बताया। इस मौके पर सतीष गुप्ता, सुशील केशरवानी, भरत यादव, भंवर सिंह, मुन्नवर खान, उपाध्यक्ष राहुल थवाईत, ईश्वरी केशरवानी, पवन कुमार, हरि केशरवानी, बद्री आदित्य, प्रतीक शुक्ला, सचिन मिश्रा, यशवंत केशरवानी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के पास्टर ने प्रभु यीशु की प्रार्थना की। मुस्लिम जमात के गुलाम मोहम्मद ने कुरान की आयतें पढ़ी। सिख समुदाय से गुलजीत गांधी ने गुरू ग्रंथ साख का पाठ किया तो हिंदू समुदाय की ओर से पं. ऋषि कुमार ने गीता का श्लोक पढ़ा।

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