हिन्दू–मुसलमान को एक – दसरे को समान समझने के लिए कवयित्री ललद्यद क्या तर्क देती है ?
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बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय ... आपसी भेदभाव के कारण एक वर्ग दूसरे वर्ग को संदेह ... हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
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हिंदू मुसलमान को एक दूसरे को समान समझने के लिए कवियत्री ललद्यदभगवान शंकर का तर्क देती है और कहती है कि शिव कभी भी हिंदू मुसलमान में भेद नहीं करते क्योंकि वह सच्चा ज्ञानी को ही ईश्वर प्राप्ति के योग्य मानते हैं चाहे वह किसी भी जाति का हो या किसी भी धर्म का | इसलिए हिंदू हो या मुसलमान उसे अपनाने में किसी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए
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