हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में आने वाली किन्ही दो समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
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मूल्यांकन की समस्याः हिंदी साहित्येतिहास लेखन में मूल्यांकन की समस्या भी एक गंभीर समस्या बनी रहती है। इस विषय में डॉ. नामवर सिंह का मत इस प्रकार प्रतिपादित हुआ है कि साहित्य के इतिहास में काल-विभाजन और नामकरण से अधिक महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन की समस्या होती है।
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हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में आने वाली दो समस्याएं है काल विभाजन की समस्या व नामकरण की समस्या जिनका वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है ।
- काल विभाजन की समस्या - हिंदी साहित्य को आदिकाल, भक्तिकाल, रितिकाल व आधुनिक काल में विभाजित किया गया है।
- अपने हिंदी साहित्य इतिहास लेखन में आचार्य शुक्ल ने इसी इतिहास को अपनाया है परन्तु बाद में इस काल विभाजन पर भी विद्वानों को संदेह हुआ। साहित्य लगातार प्रगति के शिखर पर चढ़ता जा रहा था इस कारण कोई भी काल अंतिम सत्य के रूप में स्वीकारा नहीं का सकता था।
- काल विभाजन इतिहास लेखन के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतना ही समस्या पूर्ण भी है।
- नामकरण की समस्या - जिन ग्रंथो के आधार पर आचार्य शुक्ल ने आदिकाल को वीर गाथा काल कहना उपयुक्त समझा था उसके बाद विचारको ने असहमति व्यक्ति की व अपने अपने मत को समर्थन देने के लिए विभिन्न तर्क प्रस्तुत किए।
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