Hindi, asked by sonkarbanti, 10 months ago

हिन्दी विषय के शिक्षण की उचित प्रक्रिया क्या है ??

Answers

Answered by sushilyashk
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Answer:

इस इकाई से आपको अपने शिक्षकों के कार्याभ्यास को विकसित करने में सहयोग देने तथा अपने विद्यालय में शिक्षणशास्त्रीय बदलाव(pedagogical shift) लाने में मदद मिलेगी। इस विषय पर काफी कुछ लिखा जा चुका है दृ और ‘गतिविधि आधारित सीखने की प्रक्रिया’ एवं ‘बालक–केंद्रित सीखने की प्रक्रिया’ आदि विषयों पर प्रशिक्षण आयोजित किए जा चुके हैं– परन्तु इसे आप अपने विद्यालय में वास्तव में अमल में कैसे ला सकते हैंघ् इस इकाई में इस बात के क्रियात्मक उदाहरण दिए गए हैं कि अपने विद्यार्थियों के सीखने संबंधी परिणामों को बेहतर बनाने के लिए अपने विद्यालय के शिक्षकों के पाठों को अधिक भागीदारीपूर्ण बनाने हेतु उनके साथ TESS-भारत मुक्त शैक्षिक संसाधनों (ओईआरद्ध का उपयोग कैसे करना है।

Answered by shishir303
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हिंदी भाषा का शिक्षण एक महत्वपूर्ण कार्य है। उसकी सबसे उचित प्रक्रिया है कि सबसे पहले वर्णो को सिखाया जाए और वर्णमाला का ज्ञान कराया जाए। वर्णों के ज्ञान के पश्चात धीरे-धीरे शब्द और वाक्यों तक विस्तार किया जाए और व्याकरणीय ज्ञान से परिचित कराया जाए इस विधि को विश्लेषणात्मक विधि कहते हैं।

हिंदी विषय के शिक्षण की उचित प्रक्रिया के लिए व्यवहारिक भाषा. व्याकरण और साहित्य की विविध विधाओं से युक्त पाठ्य सामग्री हिंदी शिक्षण की पुस्तकों में व्यवस्थित की जाए। हिंदी की सभी विधाओं का व्यवस्थित रूप से शिक्षण दिया जाए।

विद्यार्थियों के यथोचित शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और भाषा कौशल संबंधी विकास के लिए पाठ्यवस्तु का संतुलित और उपयुक्त होना अनिवार्य है। भाषा का ज्ञान ना केवल ज्ञान, सूचनाओं, विचारों, भावों आदि के अधिगम और में सहायक होता है बल्कि इनके विस्तार और विकास का सामर्थ्य प्रदान करता है।

हिंदी भाषा के शिक्षकों को भाषा अध्ययन द्वारा विविध भाषा कौशल और भाषा व्यवहार के लिए उपयुक्त भाषा के रूपों की प्राप्ति करने का प्रयास करना चाहिए। शिक्षण शास्त्रीय विश्लेषण इस प्रक्रिया का अनुपम अनिवार्य उपकरण सिद्ध होता है। अतः प्रत्येक कक्षा के भाषा पाठ्यक्रम का शिक्षण शास्त्रीय विश्लेषण होना अत्यंत आवश्यक है।

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