होनहार बालक का सारांश लेखन
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Best Motivational Story: एक बालक प्रतिदिन विद्यालय पढऩे जाता था। घर में उसकी माता थी। मां अपने बेटे पर प्राण न्यौछावर किए रहती थी, उसकी हर मांग पूरी करने में आनंद का अनुभव करती। पुत्र भी पढऩे-लिखने में बड़ा तेज और परिश्रमी था। खेल के समय खेलता, लेकिन पढऩे के समय का ध्यान रखता।
एक दिन दरवाजे पर किसी ने ‘‘माई! ओ माई! पुकारते हुए आवाज लगाई तो बालक हाथ में पुस्तक पकड़े हुए द्वार पर गया, देखा कि एक फटेहाल बुढिय़ा कांपते हाथ फैलाए खड़ी थी।
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