होनहार बिरवान के अर्थ
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होनहार बिरवान के होत चीकने पात इस कहावत पर प्रेमचंद जी ने एक साहित्यिक नाटक लिखा है। इस कहावत का अर्थ है कि जो होनहार (प्रतिभाशाली) लोग होते हैं, उनके ढंग और गुण ही निराले होते हैं। वह मामूली लोगों से अपनी सोच के बल से अलग दिखते हैं।
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