‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ का पल्लवन कीजिए ।
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“पल्लवन हिंदी गद्य की वो विधा है जिसमें किसी विषय-वस्तु को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर उसका एक विस्तृत रूप से विवेचन किया जाता है। वो विषय वस्तु कोई मुहावरा, लोकोक्ति या कोई सामयिक घटना भी हो सकती है।”
‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ का पल्लवन —
जो प्रतिभाशाली है, गुणी है, उसके लक्षण तो उसमें आरंभ से दिखने लगते हैं। प्रतिभा तो ईश्वर द्वारा दिया गया उपहार है जो ईश्वर किसी गुण विशेष के संबंध में कुछ ही लोगो को प्रदान करता है। अब जिसे बड़ा बनना है उसके लक्षण बचपने से ही दिखने लगेंगे। बिल्कुल उसी प्रकार जैसे कि जिस वृक्ष को बड़ा बनना होता है तो उसके पौधे वाली अवस्था में ही उसके पत्तों में चिकनाहट आनी आरंभ हो जाती है।
सचिन तेंदुलकर इतने महान क्रिकेट खिलाड़ी बनेंगे ये किसको पता था। उनके बड़े भाई भी शुरु में क्रिकेट खेलते थे। सचिन घर में पड़े क्रिकेट बैट खेल-खेल में जब पकड़ते तो उनके बैट पकड़ने के स्टाइल से ही उनके बडे़ भाई को उनका एक बड़ा क्रिकेटर बनने का अंदाजा हो गया था और उन्होंने सचिन को प्रोत्साहित करना शुरु कर दिया। कहते है न कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात।
Answer: प्रतिभाशाली लोगों की प्रतिभा बचपन से ही प्रदर्शित होने लगती है.
Explanation: बचपन से कार्यो के प्रति पूर्णता और समर्पण का भाव आपके भविष्य के काबिलियत को दर्शा देता है। बचपन से ही आपके किसी भी कार्य को करने का तरीका, उसके प्रति लगन और पूरी तन्मयता से कार्य करने की आदत आपके व्यक्तित्व के दर्शन करा देती है। जिस प्रकार बड़े वृक्ष के पत्ते पौधे रहने पर ही चिकने होते हैं ताकि उसपर अनावश्यक चीज़े चिपक कर उसका विकास अवरोधित न कर दें... क्योंकि पौधों को पोषण जड़ और पत्तों से ही प्राप्त होता है और एक दिन जाकर वो पौधा विशाल वृक्ष का आकार ले लेता है.. वैसे ही बचपन से ही संयमित और समर्पित आचरण करने वाले बच्चे भी आगे चलकर विशाल व्यक्तित्व के स्वामी बनते हैं।
ऐसे बच्चों के लिए ही कहा गया है कि - "होनहार बिरवान के होत चिकने पात"