‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ molik khani
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ने बचपन मे सुर्य को फल समझ कर उसे खाने के लिए चले गए और बडे हुए तो वे महान कार्य करने लगे इसे कहते है होनहार बिरवान के होते चिकने पात । कृष्णजी के बचपन मे चमतकारो को देख कर लोगो ने कह दिया की यह जरूर कोई महान व्यक्ति है और जब बडे हुए तो उन्होने इस बात को सच कर कर बता दिया की होनहार बिरवान के चिकने पात ।
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