Hindi, asked by suryachadrkanti, 4 months ago

हे प्रभु। मेरे अशांत मन को शांति प्रदान करो। प्रतिदिन की लालसाओं से मुझे बचाओ। विचलित मन में जला प्रेम की बाती मुझे अपने मिलन के योग्य बनाओ। अहंकार में डूबी हूँ मैं मेरा अंतर तुम चमकाओ। विपदाओं से विचलित न होऊँ इतना मुझको सबल बनाओ। कहाँ है मंदिर मेरे घर में, किस परदे में तुम्हें बिठाऊँ। उपहास करे सारी दुनिया, फिर भी शंकित न हो पाऊँ। समस्त भुवन में व्याप्त हो फिर भी मैं तुमको पहचान न पाई। नित्य नये रूपों में आकर मुग्ध-मुँदै नयनों में आकर मेरे अंतर में बस जाओ। मुझसे तुम यूँ मुख न मोड़ो, हाथ बढ़ाकर मुझे उबारो। चरण-धूलि का तिलक लगाकर तुमसे मैं कभी विलग न होऊँ! (1) कवयित्री की ईश्वर कवयित्री ने कौन-सी अभिलाषा प्रकट की है?(2)इस कविता का अन्य कोई उपसे क्या प्रार्थना है? (3)कवयित्री ईश्वर से क्या वरदान माँगती है?(4)यह कविता किसे संबोधित करके लिखी गई है?​

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Answered by DikshithP
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हे प्रभु। मेरे अशांत मन को शांति प्रदान करो। प्रतिदिन की लालसाओं से मुझे बचाओ। विचलित मन में जला प्रेम की बाती मुझे अपने मिलन के योग्य बनाओ। अहंकार में डूबी हूँ मैं मेरा अंतर तुम चमकाओ। विपदाओं से विचलित न होऊँ इतना मुझको सबल बनाओ। कहाँ है मंदिर मेरे घर में, किस परदे में तुम्हें बिठाऊँ। उपहास करे सारी दुनिया, फिर भी शंकित न हो पाऊँ। समस्त भुवन में व्याप्त हो फिर भी मैं तुमको पहचान न पाई। नित्य नये रूपों में आकर मुग्ध-मुँदै नयनों में आकर मेरे अंतर में बस जाओ। मुझसे तुम यूँ मुख न मोड़ो, हाथ बढ़ाकर मुझे उबारो। चरण-धूलि का तिलक लगाकर तुमसे मैं कभी विलग न होऊँ! (1) कवयित्री की ईश्वर कवयित्री ने कौन-सी अभिलाषा प्रकट की है?(2)इस कविता का अन्य कोई उपसे क्या प्रार्थना है? (3)कवयित्री ईश्वर से क्या वरदान माँगती है?(4)यह कविता किसे संबोधित करके लिखी गई है?

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Answered by vksingh2031
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कवियत्री की ईश्वर कौन सी अभिलाषा हैं

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