Hindi, asked by RedCandle, 1 day ago

है पवन झकोरों में दुलार खेतों में है दौलत बिखरी, पग – पग मेरा विश्वास भरा, तप से है यह जीवन निखरा, प्रखर कर्म का पाठ सतत पढ़ती मैं भारत माता हूँ॥ वज्र सदृश विपदाओं को भी अनायास सह लेती हूँ, सुधादान कर औरों को, मैं विष पीकर मुसकाती हूँ, धीरज का पाठ पढ़ाती हूँ, गौरव का मार्ग दिखाती हूँ, मैं सहज बोध, मैं सहज शक्ति सुविवेकी भारत माता हूँ॥ मूर्तियाँ बना डाली सजीव, अनगढ़ पत्थर को काट-काट, बंधुता-प्रेम को फैलाया, अपना ही अंतर बाँट-बाँट, जिसके गीतों से जगत् मुग्ध, जिसके नृत्यों पर जगत् मुग्ध, जिसकी कविता-धारा अविरल बहती वह भारत माता हूँ॥ प्रश्नः 1. उपर्युक्त गद्यांश का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। प्रश्नः 2. ‘चंदा-तारों-सी सहज कांति’ में अलंकार का नाम लिखिए। प्रश्नः 3. खेतों में है दौलत बिखरी’ का भाव स्पष्ट कीजिए। प्रश्नः 4. भारत माता की दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख काव्यांश के आधार पर कीजिए। उत्तरः प्रश्नः 5. भारतीयों ने भारतमाता का गौरव किस तरह बढ़ाया है ?​

Answers

Answered by sharadgovind38
0

Answer:

uHi ha k J. zj6wu u si si sishxhdhhrvuxbrbhxvckshx u

Similar questions