है| point 15-रामचरित की भाषा (सही शब्द से वाक्य पूरा करो) O अवधि O अवधी O असमिया Oगुजराती
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WD
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है, परंतु इस ग्रंथ के किसी न किसी पहलू को लेकर बराबर विवाद भी उठते रहते हैं। रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। कोई इसे अवधी मानता है तो कोई भोजपुरी। कुछ लोक मानस की भाषा अवधी और भोजपुरी की मिलीजुली भाषा मानते हैं। मानस की भाषा बुंदेली मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है।
मानस में संस्कृत, फारसी और उर्दू के शब्दों की भरमार है। प्रकाशन विभाग द्वारा सन 1978 में प्रकाशित पुस्तक 'रामायाण, महाभारत एंड भागवत राइटर्स' के पृष्ठ 110 पर मदन गोपाल ने रामचरितमानस की भाषा में के बारे में लिखते हुए कहा कि तुलसीदास अवधी और ब्रज भाषा में बराबर निष्णात थे। उन्होंने लगभग 90,000 संस्कृत शब्दों को गाँवों में प्रचलित किया, जबकि 40,000 देसी शब्दों को को पढ़े-लिखे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया।
तुलसीदास ने अवधी और ब्रज भाषा के मिले-जुले स्वरूप को प्रचलित किया। इसके साथ ही उन्होंने फारसी और अन्य भाषाओं के हजारो शब्दों का प्रयोग किया। तुलसीदास ने संज्ञाओं का प्रयोग क्रिया के रूप में किया तथा क्रियाओं का प्रयोग संज्ञा के रूप में। इस प्रकार के प्रयोगों के उदाहरण बिरले ही मिलते हैं। तुलसीदास ने भाषा को नया स्वरूप दिया।
अभी हाल ही में चित्रकूट स्थित अंतरराष्ट्रीय मानस अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख स्वामी रामभद्राचार्य ने रामचरितमानस का सम्पादन किया हैं। ग्रंथ की भूमिका में स्वामीजी ने रामचरितमानस की आज कल उपलब्ध प्रतियों की भाषा के बारे में कई मौलिक प्रश्न उठाए हैं। इन्हीं के आधार पर उन्होंने अपने संशोधनों का औचित्य भी प्रतिपादित किया है।