हाराहूँ सौ बार
गुनाहों से लड़-लड़कर
लेकिन बारंबार लड़ा हूँ
मैं उठ-उठकर
इससे मेरा हर गुनाह भी मुझसे हारा
मैने अपने जीवन को इस तरह उबारा
आज जीत की रात
पहरुए, सावधान रहना,
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना।
प्रथम चरण है नए स्वर्ग का
है मंजिल का छोर
इस मन-मंथन से उठ आई
पहली रतन हिलोर
अभी शेष है पूरी होना
जीवन मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट पाई दुःख की
विगत साँवली कोर
ले युग की पतवार
बने अंबुधि महान रहना
पहरुए सावधान रहना
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है
शोषण से मृत है समाज
कमजोर हमारा घर है
किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है।
जन-गंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवाहमान रहना
पहरुए, सावधान रहना।
डूबा हूँ हर रोज़
किनारे तक आ-आकर
लेकिन मैं हर रोज़ उगा हूँ
जैसे दिनकर
इससे मेरी असफलता भी मुझसे हारी
मैने अपनी सुंदरता इस तरह सँवारी
प्रश्न
1. प्रस्तुत पंक्तियाँ जिस सुखद अवसर को ओर संकेत कर रही
(क) 26 जनवरी, 1952 का दिन
(ख) 15 अगस्त, 1947 का दिन
(ग) 15 अगस्त, 1940 का दिन
(घ) 26 जनवरी, 1956 का दिन
IL कवि पहरुए' कह रहा है
(क) पहरा देने वालों को
(ख) पहर में जागने वाले
(ग देश की जनता को
(घ) देश की स्वतंत्रता की
न करने वालों को
III. 'शत्रु हट गया, लेकिन उसकी छायाओं का डर है' द्वारा
कवि को लगता है कि
(क) एक शत्रु तो चला गया, किंतु कई और शत्रु
(जैसे-पाकिस्तान) पैदा हो गए हैं
(ख) शत्रु की छाया अधिक डरा रही है
(ग) छायाएँ हमेशा डराती हैं
(घ) छायाओं से हमें नहीं डरना चाहिए
IV. 'शोषण से मृत है समाज, कमज़ोर हमारा घर है' पंक्ति में
कवि कहना चाहता है कि
(क) हमारे सामने चुनौतियाँ है
(ख) हम खुशी मनाना नहीं रोकें
(ग) हम अधिक खुशी न मनाएँ
(घ) हम खुशी तनिक भी न मनाएँ
V. 'अंबुधि' शब्द का अर्थ है
(क) पानी
(ख) आकाश
(घ) समुद्र
प्रश्न
I कवि गुनाहों से सौ बार हारा है, लेकिन वह लड़ा है
(क) गिर-गिरकर
(ख) उठ-उठकर
(ग) भाग-भागकर
(घ) छिप-छिपकर
IL. कवि ने अपनी असफलताओं को पराजित किया है
(क) गुनाहों से लड़कर
(ख) घायल होकर
(ग) विजय की कामना करके
(घ) अनाचार का सामना करके
III. 'डूबा हूँ हर रोज़ किनारे तक आ-आकर' का अर्थ है कि
कवि
(क) प्रतिदिन किनारे आकर डूब गया है
(ख) वह तैरना नहीं जानता
(ग) सफलताओं के समीप आकर भी असफल हुआ है
(घ) असफलताओं से नहीं घबराता
IV. 'मैंने अपनी सुंदरता इस तरह सँवारी' पंक्ति द्वारा कवि के
व्यक्तित्व की इस विशेषता का पता चलता है कि उसने
विजय प्राप्त की है
(क) अपनी सुंदरता को नष्ट करके
(ख) अपनी सुंदरता का ध्यान रखकर
(ग) अपनी सुंदरता को सँवारकर
(घ) हार न मानकर, लगातार संघर्ष करते हुए
v. 'दिनकर' शब्द का अर्थ है
(क) सूर्य
(ख) चंद्रमा
(ग) दिन
(घ) रात
(ग) अमरप्रसिद्ध पंक्तियां जी सुखद अवसर की ओर संकेत कर रहे हैं कभी पहरुए कह रहा है आंसर
Answers
I. प्रस्तुत पंक्तियाँ जिस सुखद अवसर को ओर संकेत कर रही हैं...
➲ (ख) 15 अगस्त, 1947 का दिन
II. कवि पहरुए' कह रहा है...
➲ (ग) देश की जनता को
III. 'शत्रु हट गया, लेकिन उसकी छायाओं का डर है' द्वारा कवि को लगता है कि...
➲ (क) एक शत्रु तो चला गया, किंतु कई और शत्रु (जैसे-पाकिस्तान) पैदा हो गए हैं
IV. 'शोषण से मृत है समाज, कमज़ोर हमारा घर है' पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि...
➲ (क) हमारे सामने चुनौतियाँ है
V. 'अंबुधि' शब्द का अर्थ है
➲ (घ) समुद्र
VI. कवि गुनाहों से सौ बार हारा है, लेकिन वह लड़ा है...
➲ (क) गिर-गिरकर
VII. कवि ने अपनी असफलताओं को पराजित किया है...
➲ (क) गुनाहों से लड़कर
VIII. 'डूबा हूँ हर रोज़ किनारे तक आ-आकर' का अर्थ है कि कवि...
➲ (ग) सफलताओं के समीप आकर भी असफल हुआ है
IX. 'मैंने अपनी सुंदरता इस तरह सँवारी' पंक्ति द्वारा कवि के व्यक्तित्व की इस विशेषता का पता चलता है कि उसने विजय प्राप्त की है...
➲ (घ) हार न मानकर, लगातार संघर्ष करते हुए
X. 'दिनकर' शब्द का अर्थ है
➲ (क) सूर्य
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Answer:
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