हीरा मोती दढ़ियल आदमी के बंधन से कैसे आजाद हुए?
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कांजी हौस से एक दढ़ियल आदमी ने हीरा-मोती को खरीद लिया और उन्हें अपने साथ ले चला। उस आदमी की भयानक मुद्रा से ही हीरा-मोती ने समझ लिया था कि वह आदमी उन पर छुरी चला कर उन्हें मार डालेगा। वे उसके साथ काँपते हुए जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का एक झुंड चरता हुआ नजर आया। सहसा उन्हें लगा कि यह तो उनकी जानी पहचानी राह है। दोनों दौड़ कर अपने स्थान पर आ गए। वह दढ़ियल भी उन के पीछे भाग कर आया और उन पर अपना अधिकार जमाने लगा। झूरी ने दोनों बैलों को गले लगा लिया और उस दढ़ियल को कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल ने जब ज़बरदस्ती बैलों को पकड़ कर ले जाना चाहा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने फिर पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। इस प्रकार वे दढ़ियल के बंधन से आजाद हुए।
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