हीरा और मोती मालकिन ने आकर माथे को क्यो चूम
लिया।
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दूसरी बार हीरा-मोती कांजीहौस से नीलाम होकर किसी तरह घर पहुँचते हैं तो उनकी दशा देखकर झूरी की पत्नी के मन में उनके प्रति बदलाव आ जाता है। वह बैलों द्वारा सहे कष्ट का अनुमान लगा लिया और उनके माथे चूम लिया।
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झूरी ने अपने बैलों हीरा और मोती को गया के घर काम के लिए भेजा। हीरा-मोती झूरी से बहुत लगाव रखते थे। वे झूरी को छोड़ कर गया के घर नहीं जाना चाहते थे। गया के साथ वे जैसे-तैसे चले गए पर बेगानापन महसूस होने के कारण वे रात में ही रस्सी पगहे तुड़ाकर चले आए। यह देख झूरी की पत्नी ने उन्हें नमक हराम कहा और उन्हें खली, चूनी-चोकर आदि देना बंद करके सूखा भूसा सामने डाल दिया। दूसरी बार हीरा-मोती कांजीहौस से नीलाम होकर किसी तरह घर पहुँचते हैं तो उनकी दशा देखकर झूरी की पत्नी के मन में उनके प्रति बदलाव आ जाता है। वह बैलों द्वारा सहे कष्ट का अनुमान लगा लिया और उनके माथे चूम लिया। ऐसी प्रतिक्रिया बैलों के द्वारा अपनी स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के कारण थी।